इंफाल/ नई दिल्ली9 मिनट पहले
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मणिपुर में सुरक्षा बलों को हटाने के लिए विरोध किया जा रहा है। (फाइल फोटो)
मणिपुर के टेंग्नौपाल जिले के मोरेह इलाके में मंगलवार 31 अक्टूबर को एक पुलिस अधिकारी को गोली मार दी। मोरेह के SDOP चिंगथाम आनंद कुकी-जो समुदाय के प्रभाव वाले इलाके का दौरा कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि SDOP आनंद बॉर्डर टाउन में नए बने हेलिपैड की जांच करने गए थे। इस दौरान ट्राइबल मिलिटेंट के एक समूह ने उन पर गोलीबारी की। इस गोलीबारी में SDOP को गोली लग गई। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल लाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
दरअसल, कई हफ्तों से मोरेह के कुछ सिविल सोसाइटी संगठन सुरक्षाबलों को बॉर्डर टाउन इलाके से हटाने की मांग कर रहे थे। इसके बाद ऐसी घटना सामने आई है। अब पुलिस इलाके में मिलिटेंट्स को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रही है।
इस बीच, जुमे को सार्वजनिक अवकाश (पब्लिक हॉलिडे) घोषित करने वाले जॉइंट स्टूडेंट्स बॉडी के मेंबर्स पर एफआईआर दर्ज की गई है।
मणिपुर में हिंसा के बाद से लगातार सुरक्षा बलों की छापेमारी हो रही। इसमें कई गिरफ्तारियां और हथियारों की जब्ती की जा रही है।
सुरक्षा बलों ने इलाके से जब्त हथियार जब्त किए
सुरक्षा बलों ने सोमवार 30 अगस्त को इंफाल-ईस्ट और चुराचांदपुर में छापेमारी कर हथियार और विस्फोटक जब्त किए। सुरक्षा बलों को इलाके से 14 हथियार, 41 हैंड ग्रेनेड, 5 खाली कारतूस और 2 हैवी मोर्टार मिले हैं। इनमें दो 9 एमएम पिस्टल भी शामिल हैं।
साथ ही, असम राइफल्स और CRPF ने मिलिटेंट्स के 6 बंकरों को भी नष्ट किया गया। सुरक्षा बलों ने इंफाल-वेस्ट से मनी एक्सटॉर्शन केस में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो प्रतिबंधित कांग्लेईपेक कम्युनिस्ट पार्टी का नेता है।
पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में बॉर्डर एरिया से 10 से ज्यादा म्यांमार के नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर मैतेई समुदाय के खाली पड़े घरों से फर्नीचर चुराने और अवैध रूप से भारत में घुसने का आरोप है।
स्टूडेंट बॉडी ने बयान जारी कर कहा- हम सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों और स्कूल में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी रखना चाहते हैं।
जुमे की छुट्टी की मांग करे रहे छात्रों पर केस
चुराचांदपुर के जॉइंट स्टूडेंट बॉडी (JBS) के मेंबर्स ने हाल ही में जुमे (शुक्रवार) को सरकारी दफ्तरों और शिक्षण संस्थानों में सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की थी।
26 अक्टूबर को स्टूडेंट बॉडी ने बयान में कहा था कि हम इस कठिन समय में भी अपनी रहने की जगह पर ठीक से पढ़ाई करना चाहते हैं। इसके लिए हमने एक रेजोल्यूशन अपनाया है। हम सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों और स्कूल में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी रखना चाहते हैं। स्टूडेंट बॉडी ने 18 अगस्त को एक रेजोल्यूशन अडॉप्ट किया था, जिसमें सभी ऑफिसों और शिक्षण संस्धानों में छुट्टी की बात थी।
27 अक्टूबर को राज्य के मुख्य सचिव विनीत जोशी ने स्टूडेंट बॉडी के इस नोटिस को अवैध करार दिया है। उन्होंने कहा- इस तरह की घोषणा जानबूझकर की जा रही है। यह राज्य में अशांति फैलाने के लिए किया जा रहा है। जनता इन पर भरोसा न करे।
राजीव सिंह 1997 बैच के त्रिपुरा कैडर के IPS अधिकारी हैं।
मणिपुर DGP समेत 204 पुलिस अधिकारियों को मेडल
राज्य के DGP राजीव सिंह को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 2023 के लिए स्पेशल ऑपरेशन मेडल की दिया जाएगा। राजीव सिंह को मणिपुर हिंसा के चलते जून 2023 में मणिपुर DGP पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले राजीव त्रिपुरा के एडिशनल DGP (लॉ एंड ऑर्डर) और CRPF के IG पद पर रहे चुके हैं।
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को स्पेशल ऑपरेशन मेडल 2023 के लिए 204 पुलिस अधिकारियों के नाम की घोषणा की है।
ट्राइबल लीडर्स फोरम ने मुख्यमंत्री पर जातीय दंगे भड़काने का आरोप लगाया
24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अवैध अप्रवासियों को कभी नहीं अपनाएगी।
कुकी-जो समुदाय के संगठन इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने 24 अक्टूबर को सीएम पर आरोप लगाया था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ही राज्य में जातीय दंगे भड़का रहे हैं। उन्होंने सरकार से सवाल भी किया था कि AFSPA को केवल घाटी क्षेत्रों से क्यों हटाया गया, पहाड़ी जिलों से क्यों नहीं?
वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में अवैध अप्रवासियों को कभी नहीं अपनाएगी। राज्य में रह रहे 34 स्वदेशी समुदायों को अपने ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखना चाहिए।
सीएम ने आगे कहा था कि कुछ विदेशी संगठन राज्य को टारगेट करने की साजिश रच रहे हैं। हालांकि, राज्य सामान्य स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। जल्द ही यहां के लोग खुशी से रहेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
RSS चीफ का दावा- मणिपुर में हो रही हिंसा सोची-समझी साजिश
RSS चीफ मोहन भागवत ने मंगलवार 24 अक्टूबर को दावा किया कि मणिपुर में हो रही हिंसा सोची-समझी साजिश है। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय सालों से एक साथ रहते हैं। इनके बीच सांप्रदायिक आग कैसे लगी? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमा पार के कट्टरपंथी भी थे?
वहां सालों से सबकी सेवा करने वाले संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटा गया। मणिपुर में अशांति और अस्थिरता से विदेशी सत्ता को फायदा हो सकता है। देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी यह हिंसा किनके बलबूते इतने दिनों से चल रही है? इससे साफ है कि यह हो नहीं रहा है, करवाया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…
हिंसा के चलते मणिपुर में सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़कर सरकारी कैम्प में शरण लेनी पड़ी है।
मणिपुर के बॉर्डर एरिया में फोर्स बढ़ाई गई
मणिपुर के बॉर्डर एरिया में पिछले एक हफ्ते में पुलिस कमांडो की संख्या बढ़ा दी गई है। हालांकि इसके खिलाफ म्यांमार की सीमा से लगे मोरे शहर में आदिवासी महिलाओं के एक वर्ग ने प्रदर्शन भी किया।
आदिवासी संगठनों कुकी इंपी और कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (COTU) ने 22 अक्टूबर को यह दावा किया था कि शहर में इंफाल घाटी से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा रहा है। इससे शांति भंग हो सकती है।
उन्होंने यह भी दावा किया था कि शहर के बफर जोन में पैरामिलिट्री फोर्स और इंडियन आर्मी के जवान काफी संख्या में तैनात हैं। इसके बावजूद कुकी बहुल शहर टेंग्नौपाल जिले के मोरेह में रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैतेई पुलिस की तैनाती की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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मणिपुर में रविवार को कुकी समुदाय के युवक को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (ITLF) के प्रवक्ता घिन्जा ने ये वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा कि वीडियो मई का है, लेकिन ये अभी सामने आया है। पढ़ें पूरी खबर…
पहले सरकार को सपोर्ट, अब खिलाफ हुए मैतेई:कुकी एरिया में दो स्टूडेंट का मर्डर, परिवार बोला- पुलिस डरकर उन्हें ढूंढने नहीं गई
3 मई, 2023 से मणिपुर में हो रही हिंसा 5 महीने बाद नए मोड़ पर है। शुरुआत में मैतेई समुदाय CM बीरेन सिंह और सरकार का खुलकर सपोर्ट कर रहा था, अब खिलाफ है। वजह 17 साल की लड़की और 20 साल के फिजाम हेमनजीत की हत्या है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
NIA-CBI ने कहा- मणिपुर में हर गिरफ्तारी सबूतों पर आधारित:इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट ने एजेंसियों पर पक्षपात के आरोप लगाए थे
मणिपुर में हर गिरफ्तारी सबूत के आधार पर की गई है। NIA और CBI ने 2 अक्टूबर को यह बात कही। दोनों एजेंसियों ने इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (ITLF) की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं किया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…