पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
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पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में पूर्व और मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने पंजाब व हरियाणा सरकार, यूटी प्रशासन व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब हाईकोर्ट की प्राथमिकता वे मामले होंगे, जिनमें ट्रायल पर रोक है और जिन मामलों में उम्रकैद या मृत्युदंड का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने माननीयों पर लंबित आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे के लिए अलग से अदालतें बनाने और सभी जिलों के सेशन जज को समय-समय पर इन केसों के ट्रायल का स्टेटस भेजने का आदेश दिया है। आजीवन कारावास व मृत्युदंड वाले अपराधों के मामलों को प्राथमिकता दी जाए और इसके बाद उन मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, जिनमें पांच या पांच साल से अधिक सजा का प्रावधान है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उन मामलों की सूची तैयार करें, जिनमें कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही रोक हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास किया जाए। इन मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि बेहतर और प्रभावी तरीके से केसों के निपटारा किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ाने के लिए माननीयों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केसों का जल्द निपटारा बेहद जरूरी है क्योंकि यह लोग जनप्रतिनिधि हैं और जनता के प्रति जवाबदेह भी।
पहले भी लिया था संज्ञान
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस विषय पर पहले भी संज्ञान लिया था और वह केस अभी विचाराधीन है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से समय समय पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी भी जा रही हैं लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इन केसों के जल्द निपटारे के लिए कुछ नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इस पर अब हाईकोर्ट ने संज्ञान ले पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ समेत हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर इस पर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।