एक घंटा पहले
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तस्वीर 86 साल के फिजिक्स प्रोफेसर केनेथ ओह्म की है, जो अपने DNA को चांद पहुंचाना चाहते हैं।
अमेरिका के कान्सास राज्य के रहने वाले 86 साल के फिजिक्स प्रोफेसर केनेथ ओह्म अपने DNA को चांद पर भेजना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे एलियन को ये सैंपल मिल जाएगा और वो इसे क्लोन करके एक और केनेथ ओह्म बना सकेंगे। दरअसल, टेक्सास की एक स्पेस कंपनी सेलेस्टिस 1994 से लोगों के अवशेषों को चांद पर पहुंचाने का काम कर रही है।
स्टार ट्रेक फिल्म बनाने वाले जीन रौडेनबेरी और मशहूर फिजिसिस्ट जेरार्ड ओ नील वो शुरुआती 2 लोग थे, जिनके अवशेषों को चांद पर भेजा गया था। ये कंपनी अब तक करीब 17 उड़ानें भेज चुकी है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने 7 ऐसे लोगों के बारे में बताया, जो अपने अवशेषों को चांद पर भेजने चाहते हैं। इन्हीं में से एक केन ओह्म भी हैं, जो अपने अवशेष नहीं बल्कि DNA को भेजना चाहते हैं।
इस तरह के कैप्सूल में बंद करके लोगों के अवशेषों को सेलेस्टिस कंपनी चांद पर भेजती है।
इस सिविलाइजेशन के बारे में जानने के लिए हो पाएगी क्लोनिंग
ओह्म का मानना है कि 30-40 हजार साल बाद भी अगर इंसानों या एलियन्स को चांद पर उनके DNA सैंपल्स मिलेंगे, तो वो शायद उसे रिक्रिएट कर पाएं। अगर ऐसा हो गया तो दुनिया में फिर से एक केन ओह्म होगा। केनेथ ने आगे बताया- ये भी मुमकिन है कि तब मेरे क्लोन को एक जू में लोगों को दिखाने और इस सिविलाइजेशन के बारे में बताने के लिए रखा जाए।
ओह्म के अलावा जो लोग अपने अवशेषों को चांद पर भेजना चाहते हैं उनमें एक टीचर, एक ग्राफिक्स डिजाइनर, एक फार्मासिस्ट, एक स्पेस एजुकेटर, एक ऐरोस्पेस इंजीनियर और एक बटालियन चीफ शामिल हैं।
इन्हीं में से एक 70 साल की फार्मासिस्ट कैथलीन मैन्सफील्ड ने बताया कि वो 13 साल की उम्र से स्टार ट्रेक फिल्म की फैन रही हैं। वो इसे अपनी मां के साथ बैठकर देखती थीं। आज जब वो अपनी मौत के करीब हैं, तब वो अपने अवशेषों को जमीन के नीचे बंद नहीं होने देना चाहती हैं।
तस्वीर 70 साल की फार्मासिस्ट कैथलीन मैन्सफील्ड की है।
अलग-अलग वजहों से चांद पर अवशेष भेजना चाहते हैं लोग
कैथलीन ने बताया कि सेलेस्टिस की स्पेस ट्रिप उन्हें ये एहसास कराती है कि ये उनका अंत नहीं होगा। दूसरी तरफ, 81 साल के स्पेस एजुकेटर गाय पिग्नोलेट ने बताया कि 20 की उम्र में वो फ्रांस के पहले एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखते थे। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका।
एस्ट्रोनॉटिक्स के ग्रैंडफादर कहे जाने वाले कॉन्स्टेंटिन त्सोल्कोव्स्की ने एक बार कहा था कि पृथ्वी मानवता का पालना है, लेकिन एक बच्चे की ही तरह मानव जाति भी हमेशा पालने में नहीं रह सकती। पिग्नोलेट इस बात से काफी प्रभावित हुए। वो हमेशा से ही खुद को धरती नहीं बल्कि सोलर सिस्टम का नागरिक मानते थे।
चांद से टूटता तारा बनकर लौटना चाहते हैं स्पेस एजुकेटर
पिग्नोलेट ने कहा- मैं अपने पिता की तरह जमीन में दफनाया जाना नहीं चाहता था। 2003 में अपने हार्ट की सर्जरी होने से पहले उन्होंने ये तय किया कि वो अपने अवशेषों को चांद पर भेजना चाहते हैं, जहां से कई सालों बाद वो टूटता तारा बनकर वापस लौट सकेंगे।
ऐसे तो चांद पर DNA भेजना और फिर इसके रिक्रिएट होने की बात फिल्मों जैसी लगती है, लेकिन DNA सैंपल को संरक्षित करके रखने से भविष्य में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जानवरों के DNA के जरिए उन्हें क्लोन करने की प्रक्रिया में कामयाबी मिल चुकी है। हालांकि, इंसानों के लिए फिलहाल ये मुमकिन नहीं हो पाया है।
तस्वीर 81 साल के स्पेस एजुकेटर गाय पिग्नोलेट की है।
सेलेस्टिस कंपनी ने 1998 में भेजा था पहला मिशन
दूसरी तरफ, सेलेस्टिस कंपनी ने साल 1998 में अपना पहला मिशन चांद पर भेजा था। इसमें कैप्सूल में रखकर लोगों के अवशेषों को चांद पर भेजा गया था। इसके बाद दूसरी कंपनी के साथ मिलकर सेलेस्टिस ने एक और मिशन भेजा था।
सेलेस्टिस की वेबसाइट फिलहाल बुकिंग नहीं कर रही है। इसने अपने अगले मिशन के लिए किसी तारीख की घोषणा नहीं की है। हालांकि, अमेरिका के वल्कन सेंटूर रॉकेट से लॉन्च होने के बाद इसके क्रिसमस पर वापस लौटने की संभावना है।