पंजाब में जलती पराली
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पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती जा रहीं हैं। पंजाब सरकार दावे कर रही है कि किसानों को पराली प्रबंधन व निस्तारण के लिए पर्याप्त मशीनें मुहैया करवाई गई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत काफी अलग है। किसानों को इस बात की चिंता है कि गेहूं की बिजाई का समय निकल रहा है और मशीनें न मिलने से उन्हें देरी हो सकती है।
किराये पर मिलने वाली मशीनों के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। किसानों को कहना है कि वह पहले ही आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं, ऐसे में महंगे किराये पर मशीनें लेकर पराली प्रबंधन नहीं कर सकते हैं। मजबूरन उन्हें पराली जलाकर खेतों को गेहूं की बिजाई के लिए तैयार करना पड़ रहा है, क्योंकि इसके लिए उनके पास केवल 20 दिन का समय होता है।
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हर किसान नहीं खरीद सकता मशीनें
पटियाला के किसान रणजीत सिंह सवाजपुर ने कहा कि हर किसान सब्सिडी पर पराली प्रबंधन मशीनें नहीं खरीद सकता है। सरकार को चाहिए कि सहकारी समितियों और जिला खेतीबाड़ी दफ्तरों को पर्याप्त गिनती में पराली प्रबंधन के लिए मशीनें मुहैया कराई जाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। मशीनें थोड़ी हैं और किसानों की गिनती ज्यादा, जिसका फायदा प्राइवेट लोग उठा रहे हैं। वह प्रति एकड़ 2200 से लेकर 2300 रुपये तक किराया लेकर मशीन दे रहे हैं। जिसे देना हर किसी किसान के बस की बात नहीं है। पहले ही खेती के खर्च काफी हैं, ऐसे में महंगा किराया दिया तो किसान के पास क्या बचेगा।