पुष्य नक्षत्र
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पुष्य नक्षत्र में शनि और रवि का योग बाजार और खरीदारों पर सुख व सौभाग्य की बरसात करेगा। 200 साल बाद चार नवंबर को शनि व रवि पुष्य योग के साथ छह योग का महासंयोग निर्मित हो रहा है। नक्षत्रों के महासंयोग में भगवान भास्कर और महालक्ष्मी की आराधना विशेष फलदायी होगी। दीपावली से पहले इस महासंयोग में खरीदारी के महामुहूर्त बन रहे हैं। धनतेरस से पहले सोना, चांदी, वाहन और संपत्ति की खरीदारी का शुभ योग है।
आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार 1823 के बाद पुष्य नक्षत्र में रवि और शनि योग निर्मित हो रहा है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि, ययीजय, त्रिपुष्कर, शुभ और श्रीवत्स योग भी इसी नक्षत्र में पड़ रहे हैं। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि रवि पुष्य का संयोग स्वर्णिम योग बना रहा है। पुष्य नक्षत्र को श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस नक्षत्र के अधिपति शनि और उप स्वामी बृहस्पति हैं। दोनों ग्रहदेव प्रगति व लाभ के लिए अनुकूल माने जाते हैं। नए व्यापार की शुरुआत, नई दुकान या नए प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए भी यह समय उपयुक्त माना जाता है। इस समय को खरीदारी से लेकर पॉलिसी, बैंकिंग आदि के लिए इसको शुभ माना गया है।
ये करेंगे तो होगा फलदायी
नया कार्य प्रारंभ करने से विशेष लाभ होता है। नया व्यापार शुरू करने से व्यापारियों की उन्नति होती है। रवि पुष्य में साधक साधना व तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं। इस नक्षत्र में सोना-चांदी की खरीदारी करते हैं तो काफी लाभ होगा।
ये हैं शुभ मुहूर्त
आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पुष्य नक्षत्र चार नवंबर को सुबह 10:03 बजे के बाद से शुरू होगा, लेकिन खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर में 1:10 बजे के बाद ही मिलेगा। यह तिथि रविवार को दोपहर 12:10 तक रहेगी। रविवार को भी पूरे दिन खरीदारी कर सकते हैं।