Obesity, Belly Fat
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चंडीगढ़ की हर दूसरी महिला मोटापे का शिकार है। चिंता की बात यह है कि यह मोटापा उन्हें जाने अनजाने में हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियों की चपेट में ला रहा है। वहीं, शोध में यह भी पता चला है कि चंडीगढ़ की मोटापे से ग्रस्त 44 प्रतिशत महिलाएं कॉर्डियक वैस्कुलर डिजीज से प्रभावित हैं। यह जानकारी इस शोध को करने वाली पीजीआई की हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम दहिया ने शनिवार को सेक्टर-10 स्थित एक होटल में महिलाओं में बढ़ते हृदय रोग संबंधी जागरूकता के लिए आयोजित कार्यक्रम में दी।
डॉ. नीलम ने बताया कि 2018 से 2020 के दौरान इलाज के लिए आई महिलाओं व उनके साथ आने वाली उनके घर की महिलाओं पर किए गए शोध में पता चला है कि उनमें से हर दूसरी महिला मोटापे का शिकार है। वहीं, उनमें से 44 प्रतिशत में हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों के लक्षण भी मिले जिससे पता चलता है कि चंडीगढ़ जैसे शहर में भी महिलाएं अपनी सेहत को लेकर बेहद लापरवाह हैं।
ऐसे में यह सोचना कि हृदय रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है बिल्कुल गलत है। मौजूदा समय में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से प्रभावित कर रहा है। चिंता की बात यह है कि एक अन्य अध्ययन में यह भी पता चला है कि 50 साल से कम आयु की 13 से 15 प्रतिशत महिलाओं में हृदय रोग संबंधी किसी न किसी मर्ज का लक्षण सामने आ रहा है।
अब हेल्थ एंबेसडर करेंगी जागरूक
डॉ. नीलम ने बताया कि महिलाओं में बढ़ते हृदय रोग का मुख्य कारण जागरूकता का अभाव है। मौजूदा समय में 50 प्रतिशत लोगों को हृदय संबंधी बीमारियों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसी स्थिति से बचाव के लिए पीजीआई के विशेषज्ञों ने पंजाब यूनिवर्सिटी व अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम तैयार किया है। इसमें पीयू समेत अन्य संस्थानों के शिक्षिकाओं को हेल्थ एंबेसडर के रूप में नामित किया जाएगा। वे अपने क्षेत्र की महिलाओं को इस अभियान से जोड़कर हृदय संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता फैलाएंगी। ऐसा हर सेक्टर की कामकाजी महिलाओं को साथ लेकर किया जाएगा।
कोविड के बाद तेजी से बढ़ा मोटापा
कार्यक्रम में मौजूद पीजीआई की पूर्व बाल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विजयलक्ष्मी ने बताया कि शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि कोविड के बाद मोटापा तेजी से बढ़ा है। वहीं, इसका सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और महिलाएं हुई हैं क्योंकि कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम में सबसे ज्यादा इनकी क्रियाशीलता प्रभावित हुई थी। शारीरिक अक्रियाशीलता धीरे-धीरे महामारी का रूप लेती जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि इसकी चपेट में आने से खुद को बचाया जाए। डॉ. विजय लक्ष्मी ने बताया कि कामकाजी महिलाएं काम के तनाव को दूर करने के लिए शराब और धूम्रपान कर रही हैं जिससे उनको हृदय रोग से बचाने वाले हार्मोन की कार्य क्षमता भी प्रभावित होने लगी है। उन्होंने कहा कि इन चीजों से बचाव के लिए खानपान पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। प्रयास होना चाहिए कि हमारे प्रतिदिन के भोजन में तीन तरह के मौसमी फल और तीन तरह की मौसमी सब्जियां जरूर शामिल हों।
80 प्रतिशत तक बचाव संभव
कार्यक्रम में मौजूद पीजीआई इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की डॉ. रमा ने बताया कि राहत की बात यह है कि हृदय संबंधी बीमारियों से 80 प्रतिशत तक बचाव किया जा सकता है लेकिन जरूरत है समय रहते उन बीमारियों के बारे में जानने और बचाव संबंधी उपाय करने की। डॉ. रमा ने बताया कि पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित होकर हम वहां का भोजन और रहन-सहन अपनाते जा रहे हैं जबकि भारतीयों की शारीरिक बनावट पश्चिमी देशों के लोगों से बिल्कुल अलग है। हमारा बीएमआई और अन्य मानक उनसे किसी भी स्तर में समान नहीं हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अपनी कमियों को जानते हुए भी महज 10 प्रतिशत लोग ही सही शारीरिक व्यायाम कर रहे हैं। जिसका परिणाम हृदय रोग की बढ़ती रफ्तार के रूप में सामने आ रहा है। वहीं, एम्स मोहाली की मनोचिकित्सक डॉ. निधि मल्होत्रा ने बताया कि बढ़ता हुआ तनाव भी हृदय रोग का कारण बन रहा है। ऐसे में जरूरी है कि उन चीजों को ज्यादा से ज्यादा करें जिससे आपको खुशी मिलती हो।
प्रीवेंटिव क्लीनिक की योजना
डॉ. नीलम ने बताया कि पीजीआई जैसे संस्थान में हृदय रोग से जुड़ी गंभीर बीमारियों का तो इलाज हो ही रहा है लेकिन अब हमारा प्रयास है कि जो अभी बीमार नहीं पड़े हैं उन्हें भी गंभीर बीमारी की चपेट से बचने के बारे में जानकारी दी जाए। इसके लिए प्रीवेंटिव क्लीनिक का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है, जहां मरीजों के अलावा सामान्य लोग भी आकर अपने हृदय की सुरक्षा के उपाय जान सकेंगे।
लगातार बैठे रहना धूम्रपान से भी खतरनाक
पीजीआई के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन की डॉ. सौम्या ने बताया कि लगातार बैठे रहना धूम्रपान से भी खतरनाक है। ऐसा करने वाले लोग हृदय रोग का भी शिकार हो सकते हैं इसलिए लगातार क्रियाशील रहिए। टीवी देखते वक्त अगर बार-बार उठना बैठना संभव न हो तो अपने हाथ पैरों को हिलाते रहें। एक दिन में लगभग आधा घंटा व्यायाम जरूरी है। अगर एक बार में इतना समय न मिल पाए तो इसे दो से तीन हिस्सों में बांटकर करें, इसका भी लाभ मिलेगा।