सुखबीर बादल और अमृतपाल सिंह
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पंजाब की खडूर साहिब सीट से ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार को तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा ने शिरोमणि अकाली दल को पंथक सियासत के चक्रव्यूह में फंसा दिया है।
अकाली दल के लिए स्थिति ऐसी बन गई है कि एक तरफ तो शिअद के वर्चस्व वाली एसजीपीसी अमृतपाल सिंह के केस की पैरवी कर रही है, तो वहीं अकाली दल के नेताओं को अब अमृतपाल सिंह के खिलाफ प्रचार करना पड़ेगा। अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने खडूर साहिब सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा करने के शिरोमणि अकाली दल के कदम पर नाराजगी जाहिर कर दी है।
पिता तरसेम सिंह का बयान शिअद उम्मीदवार विरसा सिंह वल्टोहा की ओर से लोकसभा चुनाव के लिए समर्थन मांगने के लिए उनकी पत्नी से मुलाकात के कुछ घंटों बाद आया। शिअद ने रविवार को वल्टोहा को खडूर साहिब सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया था। पिता तरसेम सिंह ने कहा कि शिअद ने अपना उम्मीदवार खड़ा करके ऐतिहासिक गलती की है।
अकाली दल (अ) ने अमृतपाल को दिया समर्थन
सिमरनजीत मान के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने अमृतपाल का समर्थन कर शिअद के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। मान ने कहा था कि अमृतपाल की ओर से चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद उनकी पार्टी खडूर साहिब सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लेगी। खडूर साहिब लोकसभा सीट को पंथक सीट कहा जाता है। यह 2008 में अस्तित्व में आई थी। लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं – जंडियाला, तरनतारन, खेमकरण, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जीरा। 2009 में शिअद के रतन सिंह अजनाला सांसद बने और 2014 में अकाली उम्मीदवार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने यह सीट जीतीं।
2019 में दो सीटों पर सिमट गया था शिअद
मालवा जो शिअद का गढ़ था, वहां से भी कट्टरपंथी सिमरनजीत सिंह मान संगरूर लोकसभा उपचुनाव जीत गए। शिअद हमेशा पंथक वोट पर आधारित रहा। वहीं भाजपा शहरी वोटरों पर, जिस कारण गठबंधन की तीन बार सरकार बनी। 2017 में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने वाली शिरोमणि अकाली दल के हिस्से 25.2 फीसदी वोट और 15 सीटें आई थीं, अकाली दल का ग्राफ यहीं से तेजी से गिरना शुरू हो चुका था।
शिअद के कार्यकाल में बेअदबी की घटनाओं, गुरमीत राम रहीम को श्री अकाल तख्त साहब से माफी, बरगाड़ी में सिख संगत पर गोलियां चलाने की घटनाओं ने पंथक वोटरों में अकाली दल (बादल) के प्रति गहरी नाराजगी पैदा कर दी। पंथक वोट अकाली दल से खिसकता जा रहा था। 2019 में अकाली दल लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर सिमट गया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 13 में से 8, अकाली -भाजपा गठबंधन को चार सीटें, ‘आप’ को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।
2022 के विधानसभा चुनाव में 18.36 रह गया वोट प्रतिशत
2019 में खडूर साहिब से पंजाब एकता पार्टी से मानव अधिकार कार्यकर्ता मरहूम जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा ने चुनाव लड़ा और दो लाख से अधिक वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहीं। इस सीट की खासियत यह थी कि यहां पर सिख संगठनों और वाम संगठनों ने मिल कर खालड़ा के लिए प्रचार किया। 2022 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल का वोट फीसदी घटकर 18.36 फीसदी हुआ है, लेकिन सीटें सिर्फ तीन हैं। 2022 के चुनाव में प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, बिक्रम सिंह मजीठिया चुनाव हार गए। अकाली दल को इस बार उम्मीद थी कि वह पंजाब के मुद्दों व बंदी सिंहों की रिहाई की शर्त रख पंजाब में लोकसभा चुनाव में उतरेगा तो पंथक वोट उनकी तरफ आ जाएगा, लेकिन खडूर साहब से अकाली दल को अमृतपाल सिंह के खिलाफ भाषणबाजी व विरोध करना होगा और असमंजस की स्थिति वर्करों के लिए भी पैदा होगी।