पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
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छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर शिक्षक पर दर्ज मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द करते हुए कहा कि अति संवेदनशील छात्र के आत्महत्या करने पर नेक शिक्षक पर केस चलाना न्याय का उपहास होगा। विद्यार्थियों को अनुशासित करने के लिए कठोर व आक्रामक भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं है, ऐसे में यह आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है।
याचिका दाखिल करते हुए जालंधर निवासी नरेश कपूर ने छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोप तय करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में बताया गया कि छह फरवरी 2019 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। लड़की ने अपने आखिरी पत्र में लिखा था कि याची की प्रताड़ना से दुखी होकर वह आत्महत्या कर रही है।
इसी आधार पर पुलिस ने कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अंतिम पत्र में किसी विशेष घटना का जिक्र नहीं है, घटना से एक-दो दिन पहले तक याची व लड़की की कोई मुलाकात नहीं हुई थी।
ऐसे में यदि कोई अतिसंवेदनशील विद्यार्थी आत्महत्या कर लेता है, तो नेक शिक्षक पर इसके लिए मुकदमा चलाना न्याय का मजाक उड़ाने जैसा होगा। हालांकि, यदि एक शिक्षक का कार्य और आचरण एक विशिष्ट छात्र के प्रति विशेष रूप से कठोर हो और तीव्र उत्पीड़न की कई विशिष्ट घटनाएं हों, तो थीं स्थिति पूरी तरह से अलग होगी।
मौजूदा मामले में लड़की पढ़ाई में कमजोर थी, जिसके लिए उसे डांटा गया था, इसके अतिरिक्त न तो कोई आरोप है और न ही कोई घटना। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए निचली अदालत की कार्रवाई रद्द कर दी।