punjab haryana high court
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
युवा किसान प्रीतपाल सिंह को अगवा करने और गंभीर चोटों के मामले में उसके बयान के बावजूद जीरो एफआईआर दर्ज करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि अपने बयान में प्रीतपाल ने कहा था कि उसे पंजाब क्षेत्र से उठा कर हरियाणा पुलिस लेकर गई थी तो ऐसा क्या कारण था कि जीरो एफआईआर दर्ज की गई। हाईकोर्ट ने अब प्रीतपाल की मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को उपलब्ध करवाने का आदेश देते हुए पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में जीरो एफआईआर दर्ज की गई है। हाईकोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि मैजिस्ट्रेट को दिए बयान में प्रीतपाल ने स्पष्ट कहा था कि वह पंजाब में मौजूद था और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हिस्सा था तो क्यों जीरो एफआईआर दर्ज की गई।
हाईकोर्ट ने एफआईआर में पाया कि न तो इसमें मेडिकल रिकार्ड मौजूद है और न ही हत्या के प्रयास की धाराएं जोड़ी गई हैं। इसपर पंजाब के एजी की ओर से कहा गया कि इस मामले का रिकॉर्ड हमारे पास सीलबंद मौजूद था और पुलिस वालों के पास यह नहीं होने के कारण एफआईआर में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी गई है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा था कि प्रीतपाल के पिता द्वारा अपहरण व बेदर्दी से की गई पिटाई को लेकर डीजीपी को दी गई शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है।
यह दिया प्रीतपाल ने बयान
प्रीतपाल ने अपने बयान में कहा था कि वह प्रदर्शनकारियों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन का हिस्सा बना था। इसी बीच हरियाणा पुलिस ने हमला कर उसे घायल कर दिया। बाद में उसे घसीट कर हरियाणा के क्षेत्र में ले गए और उसके बेहोश होने तक उसकी पिटाई की गई थी। बाद में जब उसकी हालत बिगड़ गई तो आनन फानन में उसे पीजीआई रोहतक लेकर गए थे।
यह था मामला
संगरूर निवासी दविंदर सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन से हरियाणा पुलिस उसके बेटे का अपहरण कर अपने साथ ले गई। उसे अमानवीय तरीके से पीटा गया और उसकी हालत गंभीर है। पुलिस ने उसे अवैध हिरासत में लिया है और लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। हाईकोर्ट से अपील की गई थी कि उसे हरियाणा पुलिस से छुड़ा कर ईलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ भर्ती कराया जाए।