संत सीचेवाल के साथ बलजिंदर सिंह और उनका भाई
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हांगकांग में मैंडरिन (चाइनीज) भाषा की समझ न होना गुरदासपुर के बलजिंदर को इतना महंगा पड़ा कि आठ साल में मैसन (मिस्त्री) का काम करके जो कमाई की थी, वो सब लुट गई। रकम लुटने के बाद वह डिप्रेशन में आ गया। बलजिंदर को इस हालत में पहुंचाने के लिए पंजाबी परिवार ही जिम्मेदार है, जिसने बलजिंदर को मैसन से रेस्टोरेंट मालिक बनाने का सब्जबाग दिखाकर पार्टनरशिप का ऑफर देकर धोखा दे दिया।
बलजिंदर को हांगकांग की मैंडरिन भाषा नहीं आती थी। इसी का फायदा उठाकर पंजाबी परिवार ने खुद को मालिक बना लिया। बलजिंदर को झटका उस समय लगा, जब रेस्टोरेंट खुलने के एक माह बाद पंजाबी परिवार ने घर से बाहर निकाल दिया। इसी सदमे से बलजिंदर मानसिक संतुलन खो बैठा और हर समय ऊंची आवाज में बड़बड़ाने लगा। अब मार्च में बलजिंदर सिंह राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के हस्तक्षेप के बाद वतन लौट पाया है।
निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी पहुंचे बलजिंदर सिंह के भाई जगतार सिंह ने बताया कि हांगकांग में उसके बिजनेस पार्टनर ने उससे धोखे से 22 लाख की रकम ठग ली। जिससे उसकी जिंदगी में उथल-पुथल मच गई। उसने बताया कि बलजिंदर नौ साल पहले भारत से हांगकांग गया, जहां उसका काम बहुत बढ़िया चल रहा था। उसने आठ साल मैसन का काम किया और अच्छा रसूख भी बना लिया।
2023 के दौरान उसकी मुलाकात वहां एक पंजाबी परिवार से हुई। जिसने उसे हांगकांग में मिलकर एक रेस्टोरेंट खोलने का ऑफर दिया। मैसन से खुद का बिजनेस ऑनर बनने का सपना लेकर उसने हामी भर दी और आठ साल में कमाई सारी रकम पंजाबी परिवार पर भरोसा करके रेस्टोरेंट खोलने में लगा दी। जब रेस्टोरेंट बन गया और चलने लगा तो करीब एक माह बाद ही उसके पार्टनर ने उसे स्टोरेंट से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद उन्होंने कानून का सहारा लिया तो कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। क्योंकि उसे मैंडरिन भाषा का ज्ञान नहीं था और रेस्टोरेंट के दस्तावेज मैंडरिन भाषा में बने थे, जिससे पंजाबी परिवार ने पार्टनरिशप के बजाय खुद को मालिक लिखवा लिया।
जीवन भर की कमाई लुटने का सदमा लगने से वह धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो गया और ऊल-जुलून बोलने लगा। इधर-उधर भटकना शुरू हो गया। फिर उसकी बिगड़ी हुई मानसिक हालत के चलते उसे कमरे में बंद करके रखा जाना लगा।
बलजिंदर ने बताया कि 20 अक्तूबर को पंजाब में परिवार ने संत बलबीर सिंह सीचेवाल से संपर्क किया। उन्होंने विदेश मंत्रालय को ईमेल भेजी और एक सप्ताह बाद हांगकांग की पुलिस ने बलजिंदर को ढूंढ कर अस्पताल भर्ती कराया, जहां पर उसका दो माह इलाज चला। जनवरी में एंबेसी ने एक बार तो उसका केस रिफ्यूज कर दिया, क्योंकि किसी ने पैरवी नहीं की। जनवरी में परिवार फिर संत सीचेवाल से मिला और विदेश मंत्रालय को उसकी बीमारी के बारे में बताया। जनवरी में बलजिंदर सिंह की हालत काफी स्टेबल हो चुकी थी और 14 मार्च को बलजिंदर सिंह सकुशल वतन लौटने में कामयाब रहा। उसने बताया कि यदि परिवार संत सीचेवाल तक पहुंच न करता तो वह आज परिवार में कभी वापस न लौट पाता। उसने हांगकांग स्थित उस गुरुद्वारा साहिब के प्रधान का भी आभार जताया, जिसने उसके भाई को आश्रय दिया।
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास के अधिकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी ओर से उठाए गए सार्थक कदमों के कारण ही बलजिंदर सिंह विपरीत परिस्थितियों से निकलकर वापस पहुंचा है। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे कई मामले आ रहे हैं जो या तो एजेंटों या अपनों की ओर से धोखाधड़ी के कारण विदेशों में फंस जाते हैं और वहां नारकीय जीवन जीने को मजबूर होते हैं।