पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
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विदेश से गैरकानूनी तरीके से फंडिंग पाने वाली राजनीतिक पार्टियों पर की गई कार्रवाई की जानकारी आरटीआई के माध्यम से न देने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर गृह मंत्रालय को पक्ष रखने का आदेश दिया है।
मोहाली निवासी राम कुमार ने एडवोकेट मुनीष भारद्वाज के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि आरटीआई से सूचना मांगने के छह साल बाद भी यह उपलब्ध नहीं करवाई गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 मार्च, 2014 को चुनाव आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय को विदेश से गैरकानूनी तरीके से फंडिंग पाने वाली राजनीतिक पार्टियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी, लेकिन बाद में यह वापस ले ली गई। 8 मार्च, 2018 को याची ने गृह मंत्रालय से आरटीआई के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा। याची को इस मामले में जांच लंबित होने की दलील देते हुए जानकारी देने से इन्कार कर दिया गया।
अप्रैल, 2019 में सीआईसी ने दिया था आदेश
4 अप्रैल, 2019 को सेंट्रल इन्फॉरमेशन कमिश्नर (सीआईसी) ने याची को अपने प्रतिनिधि को भेजकर रिकाॅर्ड की जांच का आदेश दिया था। जब याची का प्रतिनिधि पहुंचा तो उसे इन्कार करते हुए कहा गया कि एक्ट में प्रतिनिधि के रिकाॅर्ड जांचने का प्रावधान नहीं है। इस पर दोबारा सीआईसी में अर्जी लगाई गई और सीआईसी ने कड़ा रुख अपनाते हुए दोबारा याची को प्रतिनिधि भेजने का आदेश दिया। इस सब के बीच कई वर्ष बीत गए, लेकिन पार्टियों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा नहीं सौंपा जा रहा है। 20 अक्तूबर, 2023 को सीआईसी ने जानकारी मुहैया न करवाने पर सूचना अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अब गृह मंत्रालय को अगली सुनवाई पर पक्ष रखने का आदेश दिया है।