सूरत2 घंटे पहले
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को सूरत में हुए कॉर्पोरेट समिट 2024 में चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़े सवालों के जवाब दिए।
चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश को अपना बताने के दावे पर सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया। उन्होंने कहा, “अगर आज मैं किसी घर का नाम बदल दूं तो क्या वो मेरा हो जाएगा। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का राज्य था, है और रहेगा। नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
दरअसल, सोमवार को चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताते हुए वहां के 30 जगहों के नाम बदले थे। इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता शामिल है।
वहीं गुजरात के सूरत शहर में कॉर्पोरेट समिट 2024 के दौरान विदेश मंत्री से लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के दावे पर भी सवाल किया गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा, “हमारी सेना लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर तैनात है। उन्हें पता है कि कब क्या करना है।”
समिट में जयशंकर ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा था, है और रहेगा।”
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों के नाम बदले
हॉन्गकॉन्ग मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन ने इन जगहों के नाम क्या रखे गए हैं, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया गया था। पिछले 7 सालों में ऐसा चौथी बार है , जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदले हैं।
इससे पहले पिछले साल अप्रैल में भी चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नए नामों के साथ एक नक्शा जारी किया। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश के लोगों को भारत की विकास परियोजानाओं का फायदा मिलता रहेगा। चीन के दावे बेबुनियाद हैं। इनको दोहराने से कुछ नहीं बदलने वाला है। अरुणाचल हमेशा से भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा।”
पिछले साल चीन ने इन 11 जगहों के नाम बदले थे…
नाम बदलने के पीछे चीन का क्या दावा है…
चीन अरुणाचल को भी जांगनान कहता है। वह इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। चीन का आरोप है कि भारत ने उसके इलाके कब्ज करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है।
2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, ‘जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जांगनान ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।’
इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदल दिए।’ झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।
अरुणाचल प्रदेश को चीन इतना अहम क्यों मानता है?
अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। नॉर्थ और नॉर्थ वेस्ट में तिब्बत, वेस्ट में भूटान और ईस्ट में म्यांमार के साथ यह अपनी सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश को पूर्वोत्तर का सुरक्षा कवच कहा जाता है।
चीन का दावा तो पूरे अरुणाचल पर है, लेकिन उसका फोकस तवांग जिले पर है। तवांग अरुणाचल के नॉर्थ-वेस्ट में हैं, जहां पर भूटान और तिब्बत की सीमाएं हैं।