सांकेतिक
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
पंजाब के घर और गांव युवाओं से खाली हो रहे हैं। यहां का हर दूसरा युवा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या यूके जाकर ही शिक्षा लेना चाहता है। शिक्षा लेना तो एक आसान रास्ता है, जिसके माध्यम से युवा स्थायी नागरिकता (पीआर) लेने का सपना पूरा करते हैं। हालात यह हैं कि इस ब्रेन ड्रेन ने पंजाब के शिक्षा संस्थानों को वीरान करना शुरू कर दिया है। इंजीनियरिंग कॉलेजों की आधे से अधिक सीट खाली रह रही हैं।
यहां दाखिला लेने वालों की कमी है। एक अनुमान के मुताबिक पंजाब के युवा हर साल 75 हजार करोड़ की राशि विदेश में शिक्षा के लिए युवा खर्च कर रहे हैं। इससे पंजाब को जबरदस्त आर्थिक चोट भी पहुंच रही है। पंजाब में यह सिलसिला 2008 के बाद से काफी रफ्तार से चल रहा है। पंजाब के 103 इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें आधी से ज्यादा खाली जा रहीं हैं, जबकि कनाडा के कॉलेजों में अगले साल की सीट भी फुल हो चुकी हैं। चुनाव में शोर मचता है, लेकिन पंजाब से युवाओं के पलायन का स्थायी रास्ता नहीं निकल पाया है।
कनाडा की उदार नीतियां…
पंजाब से सबसे ज्यादा युवा कनाडा ही जाते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह कनाडा की उदार नीतियां हैं। यहां की नागरिकता लेना सबसे ज्यादा आसान है। कनाडा में कैलगरी ब्रैम्प्टन, वैंकुवर जैसे 20 से ज्यादा शहर ऐसे हैं, जहां हर चौथा शख्स पंजाबी है। कनाडा में पांच साल तक आप्रवासी के तौर पर रहने वाला शख्स वहां की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है, इस अवधि में उसे कम से कम तीन साल तक लगातार देश में रहना होगा। पंजाब से टूरिस्ट वीजा पर जाने वालों की लंबी कतार है। 20 लाख खर्च कर टूरिस्ट कनाडा में एलएमआईए लेकर वहां पर वर्क परमिट हासिल कर लेता है, जिसके बाद पीआर का रास्ता खुल जाता है।