बीजिंग/ईटानगर4 मिनट पहले
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सेला टनल 3 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है। इसकी लंबाई 1.5 किलोमीटर है।
चीन ने सोमवार को PM मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर विरोध जताया है। पड़ोसी देश ने एक बार फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बताया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा- भारत के कदम LAC पर तनाव को बढ़ावा देने वाले हैं।
वांग ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान बताते हुए कहा- यह चीनी क्षेत्र है। हमारी सरकार ने कभी भी भारत की तरफ गैर-कानूनी तरह से बसाए गए अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। हम आज भी इसका विरोध करते हैं। यह चीन का हिस्सा है और भारत अपनी मर्जी से यहां कुछ भी नहीं कर सकता है।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा- भारत जो कर रहा है उससे सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद और बढ़ सकता है। हम PM मोदी के पूर्वी क्षेत्र में किए गए इस दौरे के खिलाफ हैं। हमने भारत के सामने भी अपना विरोध जताया है। बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत कहता है और इसका नाम जांगनान बताता है।
तस्वीर 9 मार्च की है, जब PM मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने सेला टनल का उद्घाटन किया था।
PM मोदी ने सेला टनल का उद्घाटन किया
दरअसल, PM मोदी ने 9 मार्च को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल का उद्घाटन किया था। यह इतनी ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है। चीन सीमा से लगी इस टनल की लंबाई 1.5 किलोमीटर है।
टनल चीन बॉर्डर से लगे तवांग को हर मौसम में रोड कनेक्टिविटी देगी। LAC के करीब होने के कारण यह टनल सेना के मूवमेंट को खराब मौसम में और भी बेहतर बनाएगी। यह टनल के बनने से चीन बॉर्डर तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो गई है।
इसे भारतीय सेना की स्पेशल विंग BRO ने डिजाइन किया
यह टनल असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग को सीधे जोड़ेगी। दोनों जगह सेना के चार कोर मुख्यालय हैं, जिनकी दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी। इस पूरे टनल का डिजाइन और इन्फ्रास्ट्रक्चर भारतीय सेना की स्पेशल विंग बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने तैयार किया है।
जंग की स्थिति में इस टनल में कौन-कौन सी चीजें होनी चाहिए, ये BRO को अच्छी तरह से पता है। यही वजह है कि इस टनल के बनने से भारतीय सेना की ताकत और मनोबल बढ़ा है। जबकि चीन की टेंशन बढ़ गई है।
सेला टनल रणनीतिक रूप से इतना अहम क्यों है?
डिफेंस एक्सपर्ट मनोज जोशी बताते हैं कि सेला टनल रणनीतिक रूप से अहम ‘सेला पास’ के नजदीक बनी है। ये इलाका चीनी सेना को LAC से साफ नजर आता है। 1962 की भारत-चीन जंग में चीनी सेना इसी सेला पास से घुसकर तवांग तक पहुंची थी। इतना ही नहीं, तवांग सेक्टर में ही 9 दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी, जिसके बाद भारतीय सेना से उनकी झड़प हुई थी।
अरुणाचल प्रदेश के अलावा चीन अक्साई चिन और लद्दाख को भी अपना हिस्सा बताता है। पिछले साल 28 अगस्त को चीन ने अपना एक ऑफिशियल मैप जारी किया था। इसमें उसने अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दिखाया था।
अरुणाचल प्रदेश की कई जगहों के नाम बदल चुका है चीन
इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।