बीजिंग/टोक्यो46 मिनट पहले
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चीन में दुनिया की तमाम अहम वेबसाइट्स का एक्सेस नहीं है। इन्हें सरकार ने ब्लॉक किया हुआ है। (फाइल)
चीन में पिछले हफ्ते हुई पॉलिटिकल मीटिंग के दौरान इंटरनेट एक्सेस बहुत मुश्किल साबित हुआ। इस दौरान वर्चुअल प्राईवेट नेटवर्क (VPN) भी ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए। जापान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक- शी जिनपिंग सरकार आने वाले वक्त में इंटरनेट पर सख्ती और बढ़ाने वाली है।
चीन में दुनिया की तमाम अहम वेबसाइट्स का एक्सेस नहीं है। इन्हें सरकार ने ब्लॉक किया हुआ है। हालांकि, VPN के जरिए इन वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक एक्सेस किया जा सकता है, लेकिन ये नेटवर्क हासिल करना भी आसान नहीं है।
मीटिंग के दौरान ही सख्ती क्यों
- रिपोर्ट के मुताबिक- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की पिछले हफ्ते हुई मीटिंग भविष्य के लिए पॉलिटिकल एजेंडा तय करने के मकसद से हुई थी। इसमें मीडिया को एंट्री नहीं दी गई। हर साल होने वाली इस मीटिंग के बाद प्रीमियर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। 30 साल से जारी यह परंपरा इस बार तोड़ दी गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई।
- चीन पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कमजोर होती इकोनॉमी और दूसरे देशों से तनाव को लेकर पूछे जाने वाले सवालों का सरकार सामना नहीं करना चाहती थी। रियल एस्टेट सेक्टर भी करीब-करीब तबाह हो चुका है।
- इस मीटिंग में हजारों डेलिगेट्स मौजूद थे, लेकिन इसकी जानकारी अमूमन बाहर नहीं आ सकी और ऐसा पहली बार नहीं हुआ। लोगों को उम्मीद थी कि VPN के जरिए इसकी जानकारी बाहर आ सकेगी, क्योंकि चीन में VPN का इस्तेमाल गैरकानूनी नहीं है। बहरहाल, VPN भी कारगर साबित नहीं हुआ। सरकार ने इसमें भी अड़चनें पैदा कीं।
सर्विस प्रोवाइडर्स ने क्या कहा
- VPN सर्विस प्रोवाइडर्स के बड़े ब्रांड एस्ट्रिल के एक अफसर ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा- चीन में अब इंटरनेट और VPN का एक्सेस बहुत मुश्किल होता जा रहा है। आने वाले वक्त में तो ये और बढ़ेगा। खासतौर पर अगर वहां कोई पॉलिटिकल मीटिंग हो रही है तो हम कुछ नहीं कर सकते। पिछले हफ्ते की मीटिंग के दौरान ज्यादातर VPN काम नहीं कर रहे थे। अब हम कोशिश कर रहे हैं कि सर्विस को फिर सही किया जाए।
- चीन में सरकार की मंजूरी के बिना VPN का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इंटरनेट तो दूर की बात है। यहां ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक के अलावा यूट्यूब पर भी एक्सेस नहीं है। हजारों वेबसाइट्स परमानेंटली ब्लॉक्ड हैं। अगर कोई VPN के जरिए भी ब्लॉक्ड वेबसाइट्स तक एक्सेस की कोशिश करता है तो उसकी निगरानी शुरू हो जाती है।
- चीन में सोशल मीडिया के नाम पर सिर्फ वीबो है और ये सरकारी प्लेटफॉर्म है। अगर इस पर भी कोई संवेदनशील यानी सेंसेटिव टॉपिक आता है तो उसे फौरन ब्लॉक कर दिया जाता है। कुछ दिन पहले यहां एक टॉपिक ‘मिडिल क्लास चिल्ड्रन हेव नो फ्यूचर’ जैसे ही रैंक हुआ, उसे हटा दिया गया। इसी तरह डोमेस्टिक अफेयर्स से जुड़े मामलों की निगरानी बहुत सख्ती से की जा रही है।
- पिछले साल प्रेसिडेंट जिनपिंग ने एक मीटिंग के दौरान कहा था- चीन में इंटरनेट पर निगरानी बढ़ाई जाएगी। देश की सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद जरूरी है। कुछ साल पहले VPN को लेकर भारत में एक कमेटी की रिपोर्ट आई थी। इसमें कुछ चिंताएं जाहिर की गईं थीं।
चीन का रिकॉर्ड सबसे खराब
- 2022 में वाॅशिंगटन स्थित फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट फ्रीडम ऑन द नेट में कहा गया था- सरकारें पहले से कहीं ज्यादा ऑनलाइन आजादी पर नकेल कस रही हैं। चीन इस मामले में सबसे ऊपर है, जहां इंटरनेट आजादी घटी है। पाकिस्तान भी टाॅप-10 देशों में है।
- चीन (10), ईरान (16), म्यांमार (17), क्यूबा (21), वियतनाम (22), सऊदी अरब (24), मिस्र (25), संयुक्त अरब अमीरात (26), यूथाेपिया (27) भारत (49) लिस्ट में शामिल थे। देशाें के साथ दर्ज पॉइट्स इंटरनेट फ्रीडम का लेवल बताते हैं। 0 से 39 अंक का मतलब इंटरनेट आजादी नहीं है। 40 से 69 पॉइंट मतलब कम आजादी है। 70 से ज्यादा अंक वाले देशाें काे इंटरनेट आजादी की कैटेगरी में रखा गया है।