रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. इसी बीच रूस को तगड़ा झटका लगा है. क्योंकि स्वीडन गुरुवार को नाटो का 32वां सदस्य बन गया. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्वीडन औपचारिक तौर पर ट्रांस अटलांटिक सैन्य गठबंधन के 32वें सदस्य के रूप में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हो गया. स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें गठबंधन में स्वीडन के शामिल होने के दस्तावेज को आधिकारिक तौर पर विदेश विभाग में जमा कर दिया गया.
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विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, ‘यह स्वीडन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. यह गठबंधन के लिए ऐतिहासिक है. यह ट्रांस अटलांटिक संबंधों के लिए इतिहास है. हमारा नाटो गठबंधन अब पहले से कहीं अधिक मजबूत और बड़ा हो गया है.’ व्हाइट हाउस ने कहा कि स्वीडन को नाटो सहयोगी के रूप में रखने से अमेरिका और हमारे सहयोगी और भी सुरक्षित हो जाएंगे.
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, ‘नाटो दुनिया के इतिहास में सबसे शक्तिशाली रक्षात्मक गठबंधन है, और यह आज भी हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 75 साल पहले था जब हमारे गठबंधन की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के दौर में हुई थी.’
नाटो मुख्यालय पर फहराया जा सकता है स्वीडन का झंडा
उत्तरी अटलांटिक संधि गठबंधन के ब्रुसेल्स मुख्यालय पर सोमवार को स्वीडन का नीला और सुनहरा-पीला झंडा फहराया जा सकता है. उधर, रूस ने नाटो में स्वीडन के प्रवेश पर ‘जवाबी उपाय’ करने की धमकी दी है, खासकर अगर गठबंधन की सेना और संपत्ति उसके देश में तैनात हो.
क्या है नाटो का मकसद
नाटो से जुड़ने वाले सदस्य देश इस बात पर सहमत हैं कि यदि उनमें से किसी एक पर कोई दूसरा देश हमला करता है, तो सभी मिलकर हमला करने वाले देश को जवाब देंगे. नाटो के पास अपनी कोई सेना नहीं है, लेकिन सदस्य देश संकट के जवाब में सामूहिक सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद नाटो ऐक्टिव हुआ है.