पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
24 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे पूर्व सैनिक के पक्ष में फैसला आने के बावजूद पेंशन लाभ जारी न करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि इतने साल बीतने और हक में फैसला आने के बावजूद लाभ जारी नहीं किया गया। आप कितना इंतजार करवाएंगे। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगली सुनवाई तक आदेश का पालन नहीं हुआ तो आईटीबीपी के महानिदेशक को खुद कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।
श्रीनगर में हुए दुष्कर्म के एक मामले में कोर्ट मार्शल प्रक्रिया पूरी की गई थी और याची जयपाल गुलेरिया (मूल रूप से हिमाचल के मंडी से) को दोषी करार देकर सजा सुनाई गई थी। सजा कम होने की वजह से बाद में दोबारा कोर्ट मार्शल हुआ और उसे बर्खास्त कर दिया गया। सन 2000 में इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने 2013 में दोहरे कोर्ट मार्शल को गैर कानूनी करार दे दिया था लेकिन याचिकाकर्ता के 13 साल ड्यूटी से दूर रहने के चलते दोबारा सेवा में लेने का आदेश नहीं दिया था।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने पेंशन व अन्य लाभ जारी करने की मांग की थी, क्योंकि उसको बर्खास्त करने का आदेश सेवा समाप्त में बदल गया था। इस लाभ से उसे इन्कार कर दिया गया। इसके बाद याची ने एडवोकेट अरुण सिंगला के माध्यम से हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याची के हक में फैसला सुनाया तो केंद्र सरकार ने खंडपीठ में अपील दाखिल कर दी। खंडपीठ ने जनवरी 2024 को अपील खारिज कर याची को पेंशन व अन्य लाभ का पात्र माना था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि पेंशन उदारता से दिया लाभ नहीं, कड़ी मेहनत से अर्जित संपत्ति, कैसे रोक सकते हो। पेंशन रोकने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है, विभाग को ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। इस आदेश के बावजूद पेंशन व अन्य लाभ जारी न करने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि याची 24 साल से अदालतों के चक्कर काट रहा है, इसे और कितना इंतजार करवाएंगे। अगली सुनवाई तक आदेश का पालन किया जाए अन्यथा आईटीबीपी के महानिदेशक खुद अदालत में पेश हों।