माले43 मिनट पहले
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दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के बीच दुबई में क्लाइमेट समिट के दौरान बातचीत हुई थी।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने कहा है कि देश से भारत के 80 सैनिकों को निकालना संसद में बहुमत पर निर्भर करता है। सोमवार को एक मीटिंग के दौरान मुइज्जु ने कहा- अगले महीने संसद के चुनाव होने वाले हैं। अगर भारतीय सैनिकों को वापस भेजना है तो इसके लिए लोगों को बहुत सोच समझकर वोटिंग करनी होगी।
चीन समर्थक मुइज्जु ने पिछले साल इलेक्शन कैंपेन में देश में मौजूद भारतीय सैनिकों की वापसी का वादा किया था। संसद में उनकी पार्टी के पास बहुमत नहीं है और अब वो इस मुद्दे के बहाने संसदीय चुनाव जीतना चाहते हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच यह समझौता हो चुका है कि भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश लौट जाएंगे और मालदीव की रेस्क्यू यूनिट को भारत का ही टेक्निकल स्टाफ ऑपरेट करेगा।
17 मार्च को संसदीय चुनाव
- इस मीटिंग में मुइज्जु ने कहा- मालदीव सरकार पार्लियामेंट में मेजॉरिटी के बिना भारतीय सैनिकों को वापस नहीं भेज सकती। इसके लिए अगले चुनाव में हमें बहुमत हासिल करना होगा। यह सैनिक सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में हमारे सैनिकों की मदद करते हैं। दोनों देशों ने सैनिकों की वापसी के लिए समझौता किया है। लेकिन, हम आखिरी फैसला तभी ले पाएंगे, जब हमें मजलिस (संसद) में बहुमत हासिल हो जाएगा।
- प्रेसिडेंट ने आगे कहा- भारत के साथ हमने सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर लेटर ऑफ एक्सचेंज साइन किया है। यह काम 10 मई तक पूरा होना है। भारत ने हमें इस मुद्दे पर भरोसा भी दिलाया है। लेकिन, फिर भी सच यही है कि सबकुछ 17 मार्च को होने वाले चुनाव के नतीजों पर निर्भर करता है और वोटिंग के पहले लोगों को खूब सोच विचार कर लेना चाहिए।
झूठ बोल रहे हैं मुइज्जु
- मालदीव के अखबार ‘अधाधु’ की सोमवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर प्रेसिडेंट का बयान सच नहीं है। इस रिपोर्ट में कहा गया है- मालदीव में जब भारतीय सैनिक आए थे, तब भी इसमें संसद का कोई रोल नहीं था और यह फैसला उस वक्त की सरकार ने किया था। अब यही बात भारतीय सैनिकों की वापसी के मामले में भी है। भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का फैसला मुइज्जु ने किया है। इसमें संसद का कोई रोल नहीं है। राष्ट्रपति इस बारे में गलतबयानी कर रहे हैं।
- हाल ही में मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा था कि भारतीय सैनिकों का पहला बैच 10 मार्च तक देश लौट जाएगा। इस मसले पर बातचीत के लिए भारत और मालदीव ने एक कोर ग्रुप बनाया है।
मालदीव में 3 एविएशन प्लेटफॉर्म
- मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री के मुताबिक- हमारे देश में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं। इसमें से एक पर मौजूद सैनिक 10 मार्च तक भारत लौटेंगे। इसके बाद दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे।
- भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक- दोनों देश ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए साथ काम करने पर सहमति जताई है। इसके तहत यह व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की जाएगी कि मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहें।
कोर ग्रुप कर रहा है बातचीत
- भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे को हल करने के लिए दोनों देशों ने कोर ग्रुप बनाया है। जनवरी में मालदीव की राजधानी माले में इस मुद्दे पर पहले दौर की बातचीत हुई थी। तब कोई हल नहीं निकला था। फरवरी के पहले हफ्ते में दिल्ली में दूसरे दौर की बातचीत हई। तीसरा दौर माले में होगा। इसकी तारीख तय नहीं है। माना जा रहा है कि यह मार्च में होगी।
- सूत्रों के मुताबिक- दोनों देशों की कोशिश है कि हल ऐसा निकाला जाए जो दोनों पक्षों को कबूल हो। दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के बीच दुबई में क्लाइमेट समिट के दौरान बातचीत हुई थी। तब यह तय हुआ था कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी का मुद्दा हल करने के लिए कोर ग्रुप बनाया जाएगा।
मोहम्मद मुइज्जू अपनी रैलियों में इंडिया आउट का नारा देते थे। इसके बाद वो चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। अब वो संसद में बहुमत न होने की दलील दे रहे हैं। (फाइल)
मालदीव में 80 भारतीय सैनिक
- मालदीव में करीब 80 भारतीय सैनिक हैं। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेसक्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मुइज्जु नवंबर 2023 में प्रेसिडेंट बने और तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है।
- 45 साल के मुइज्जु ने चुनाव में भारत समर्थक मोहम्मद सोलिह को हराया था। मुइज्जु अपनी पहली स्टेट विजिट पर चीन गए थे। इसके पहले मालदीव का हर प्रेसिडेंट पहला दौरा भारत का ही करता आया था।
- मुइज्जु ने कहा था कि अगर भारत अपनी सेना को नहीं हटाएगा तो यह मालदीव के लोगों की लोकतांत्रिक आजादी का अपमान होगा। यह मालदीव में लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा होगा। मीडिया हाउस टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति मुइज्जु ने भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई थी।
- अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चीन समर्थक कहे जाने पर मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा था- हम किसी भी देश के समर्थक या उसके विद्रोह में नहीं हैं। मेरी सरकार सिर्फ मालदीव के लोगों के पक्ष में है। जो भी नीतियां मालदीव के लोगों के पक्ष में होगी, हम उन पर अमल करेंगे। हमारा मकसद देश की आर्थिक स्थिति को और बेहतर करना है, जिससे हम हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने में बेहतर भूमिका निभा सकें।