टेलीविजन के लोकप्रिय सितारे करण वाही छोटे परदे के कई लोकप्रिय शोज में काम कर चुके हैं। करण वाही का मानना है कि टेलीविजन शोज में कुछ भी वास्तिवक नहीं नहीं होता है जबकि ओटीटी प्लेटफार्म की सीरीज की कहानियां वास्तविकता के बहुत करीब होती हैं। हाल ही में शुरू हुए सोनी लिव के शो ‘रायसिंघानी वर्सेस रायसिंघानी’ में करण वाही भी हैं। उनसे एक खास बातचीत।
माना जाता है कि टेलीविजन शोज में जो दिखाया जाता है, वैसी जिंदगी अब होती नहीं है, आपका अनुभव क्या कहता है?
यह सही है कि टेलीविजन पर कुछ भी वास्तविक नहीं दिखाया जाता है। बहुएं सुबह मेकअप करके और गहने पहनकर कैसे उठ सकती हैं? इनका वास्तविकता से कुछ भी लेना देना नहीं है। टेलीविजन एक अलग माध्यम है, उनका अपना एक फॉर्मेट है। वह शायद एक जरूरत है जो दर्शकों को पसंद आता है। जब से ओटीटी आया है तब से लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं। ओटीटी पर एक नई कहानी देखने को मिलती है। हम जैसे कलाकारों को ओटीटी पर तैयारी करने का पूरा समय मिलता है जबकि टीवी में सेट पर ही स्क्रिप्ट मिलती है और हम अपने किरदार को लेकर कोई तैयारी नहीं कर पाते हैं।
‘रायसिंघानी वर्सेस रायसिंघानी’ वास्तविकता के कितना करीब है?
जिंदगी में मिला पहला मौका दिल के बहुत करीब होता है, आप की किस तरह यादें हैं?
मैं दिल्ली से मुंबई 30 जून 2004 को आया और 23 अगस्त को मुझे स्टार वन का पहला शो ‘रिमिक्स’ मिला। हर किसी का पहला काम उसके दिल के बहुत ही करीब रहता है। मैं बहुत ही भाग्यशाली रहा कि मेरा पहला शो लोगों को काफी पसंद आया। इस शो से मुझे और काम मिला। मुझे लगता नहीं कि 20 साल हो गए हैं। उस शो ने ना सिर्फ मुझे बनाया बल्कि बहुत कुछ सीखा दिया। मुझे तो कुछ भी नहीं आता था। मैं तो एक्टर भी नहीं बनना चाह रहा था।
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हां, आप तो क्रिकेटर बनाना चाह रहे थे, फिर एक्टिंग का ख्याल कैसे आया?