बीएसएफ
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सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने नई पहल की है। तरनतारन में भिखीविंड और अमरकोट जो अब तक बॉर्डर पर ड्रग्स तस्करी के रूट के तौर पर पहचाने जाते थे, अब बीएसएफ की मदद से इन दोनों जगहों की स्टेट ऑफ आर्ट के रूप में पहचान होगी। यहां के बाशिंदों को बीएसएफ ने ड्रग्स तस्करी के जाल से बाहर निकालकर मुख्य धारा से जोड़ने की अनूठी पहल की है।
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर की अगुआई में भिखीविंड और अमरकोट को स्टेट ऑफ आर्ट के रूप में पहचाने जाने के लिए वर्ल्ड क्लास केंद्रीय विद्यालय बनाए जा रहे हैं। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के नेतृत्व में इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाया जा रहा है।
सीमा सुरक्षा बल का मुख्य रूप से उद्देश्य यहां के युवाओं को नशे के सेवन, तस्करी या किसी भी प्रकार के ड्रग्स एब्यूज से बचाना है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो केंद्र के नेतृत्व में इस प्रकार के नए कदम पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में आगे भी उठाए जाते रहेंगे।
22.92 करोड़ से बन रहे दो वर्ल्ड क्लास केंद्रीय विद्यालय
भिखीविंड और अमरकोट में 22.92 करोड़ रुपये की लागत से बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के नेतृत्व में यह दोनों वर्ल्ड क्लास केंद्रीय विद्यालय बनाए जा रहे हैं। इन वर्ल्ड क्लास स्कूल का निर्माण अगस्त 2024 तक पूरा होने के लक्ष्य रखा गया है। भिखीविंड और अमरकोट में बन रहे इन केंद्रीय विद्यालयों का अलग-अलग निर्माण चार एकड़ पर किया जा रहा है।
केवल ईंटों से ढांचा नहीं बना, बल्कि ड्रग्स के खिलाफ एक कवच का करेगा काम
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर आईजी डॉ. अतुल फुलजेले ने भिखीविंड और अमरकोट के इन वर्ल्ड क्लास केंद्रीय विद्यालयों का हाल ही में जायजा भी लिया था। आईजी डॉ. फुलजेले का कहना है कि यह केवल ईंटों से बना एक ढांचा नहीं, बल्कि बॉर्डर एरिया में ड्रग्स के खिलाफ एक कवच का काम करेगा जो यहां के युवाओं को शिक्षा से जोड़कर ड्रग्स के जाल से बाहर निकालने का काम करेगा।
युवाओं के साथ उनके परिवारों को भी सजग कर ड्रग्स के खिलाफ एकजुट करने का बल प्रदान करेगा। बीएसएफ का मकसद इन स्कूलों के जरिये बॉर्डर एरिया पर रह रहे युवाओं को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराना है। बॉर्डर एरिया में इस प्रकार की अच्छी शिक्षा व्यवस्था न होने की वजह से कई बार युवा गलत राह पकड़ लेते हैं।