पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
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ट्राइसिटी में बिना पंजीकरण के कैब सेवा चलाने वाली इन ड्राइव एप पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन और पंजाब सरकार से सुप्रीम कोर्ट के उबर इंडिया बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में आदेश का पालन कर जवाब-तलब कर लिया है।
याचिका दाखिल करते हुए मोहाली निवासी हरगोबिंद सिंह ने एडवोकेट प्रदीप शर्मा व जसनीत कौर के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि बिना भारत में रजिस्ट्रेशन के इन ड्राइव कैब सर्विस उपलब्ध करवा रही है। ऐसा करने से देश को राजस्व का नुकसान हो रहा है क्योंकि पैसे सीधा ड्राइव लेता है और इसलिए जीएसटी की वसूली भी नहीं हो पाती। यह कंपनी विदेशी है और भारत में रजिस्टर नहीं है, ऐसे में यह भारतीय कानून की जद से भी बाहर है।
ट्राइसिटी में यह सर्विस जुलाई 2019 में शुरू की गई थी और तब से यह जारी है। एप में लोगों से उनकी निजी जानकारी ली जाती है और भारतीय कानून के अधीन न आने के चलते इस जानकारी को बेचा जा सकता है। इससे लोगों की निजता के हनन का खतरा बना रहता है। इसके साथ ही यहां पर ड्राइवरों के लाइसेंस की वेरिफिकेशन भी पूरी तरह से नहीं की जाती है जिससे ग्राहकों की सुरक्षा को खतरा बना रहता है। याची ने बताया कि भारतीय प्रावधान के तहत एप में पैनिक बटन अनिवार्य होता है जिसे खास तौर पर महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए रखा गया है। इस एप में इस तरह का पैनिक बटन भी नहीं है।
एप को दुनिया के कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है और भारत में भी इस पर प्रतिबंध होना चाहिए। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि वेब बेस कैब सर्विस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उबर इंडिया बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में दिशा निर्देश जारी किए हैं। आदेश का पालन चंडीगढ़ व पंजाब में कैसे हो रहा है, इसको लेकर हाईकोर्ट ने दोनों को अगली सुनवाई पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।