टोक्यो27 मिनट पहले
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फोटो जापान के टीवी चैनल फुजी टीवी के वीडियो फुटेज का हिस्सा है। इसमें 16 जनवरी को हुए हादसे की धुंधली तस्वीर नजर आती है।
जापान के होकाइडो आईलैंड के चितोस एयरपोर्ट पर मंगलवार दोपहर कोरियन एयरवेज का एयरक्राफ्ट लैंड करते वक्त वहां पहले से खड़े पैसेफिक एयरवेज के प्लेन से टकरा गया। पैसेफिक एयरवेज का प्लेन खाली था। उसमें कोई पैसेंजर या क्रू मेंबर नहीं था। कोरियाई एयरक्राफ्ट में 289 पैसेंजर और क्रू मेंबर थे।
लोकल मीडिया नेटवर्क ‘फुजी टीवी’ के मुताबिक- एक एयरक्राफ्ट खड़ा था और दूसरे की लैंडिंग करीब-करीब हो चुकी थी। इसलिए अब तक किसी नुकसान की खबर नहीं है। 2 जनवरी को जापान में रनवे पर दो एयरक्राफ्ट टकरा गए थे। इसमें कोस्ट गार्ड के 6 लोगों की मौत हो गई थी।
16 जनवरी को हुए हादसे की यह तस्वीर जापान के फुजी चैनल से ली गई है।
रनवे पर बर्फ की वजह से हादसा
- एक पुलिस अफसर ने जापान के ‘नियोन रेडियो चैनल’ से कहा- शुरुआती जांच में हमने ये पाया कि रनवे पर हल्की बर्फ थी। कोरियन एयरवेज के एयरक्राफ्ट ने जब यहां लैंडिंग की तो कोहरा भी काफी था। शायद इसीलिए कोरियन एयरक्राफ्ट का पायलट ठीक से रनवे को देख नहीं सका। यही वजह है कि यह प्लेन फिसलने के बाद थोड़ा उछला और काफी दूर खड़े पैसेफिक एयरलाइंस के प्लेन से थोड़ा टकरा गया।
- इस अफसर ने आगे कहा- पैसेफिक एयरलाइंस के प्लेन के एक विंग को थोड़ा नुकसान हुआ है। क्रू ने हमें बताया है कि कोरियन एयरलाइंस के किसी पैसेंजर या क्रू को चोट नहीं आई है।
यह तस्वीर 16 जनवरी को हुए हादसे के बाद की है। पैसेफिक एयरलाइंस के एयरक्राफ्ट के लेफ्ट विंग को नुकसान हुआ है।
2 जनवरी को हानेडा एयरपोर्ट पर क्रैश हुआ था
इस साल की शुरुआत में 2 जनवरी को टोक्यो के हानेडा एयरपोर्ट पर एक प्लेन में आग लग गई थी। लैंडिंग से पहले एक विमान कोस्ट गार्ड के प्लेन से टकरा गया था। कोस्ट गार्ड के प्लेन में सवार 6 में से 5 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी।
पैसेंजर प्लेन होकाइडो के शिन-चितोसे एयरपोर्ट से रवाना हुआ था। इसमें करीब 367 पैसेंजर्स और 12 क्रू मेंबर्स सवार थे। सभी को जलते प्लेन से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। कोस्ट गार्ड का प्लेन भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में जरूरत का सामान पहुंचाने जा रहा था।
3 जनवरी को हानेडा एयरपोर्ट की यह तस्वीर। इसमें हादसे के बाद प्लेन को हुआ नुकसान साफ नजर आता है। इसकी आग बुझाने में 6 घंटे लगे थे।
बर्निंग प्लेन में भी बच गए थे पैसेंजर
- सिंगापुर की न्यूज वेबसाइट ‘सीएनए’ और ब्रिटिश मीडिया हाउस ‘द गार्डियन’ ने एक्सपर्ट के जरिए सभी पैसेंजर्स को महज 90 सेकेंड में इवैक्यूएट (निकालने) करने के बारे में बताया था।
- हनेडा एयरपोर्ट के कर्मचारियों को एयरक्राफ्ट की आग बुझाने में 6 घंटे लगे थे। बहरहाल, इस क्रैश के करीब दो घंटे पहले ही तमाम पैसेंजर्स को JAL के क्रू मेंबर्स ने सेफ्टी वीडियो दिखाया था। इसमें बताया गया था कि इमरजेंसी में उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। हालांकि JAL लंबी दूरी की फ्लाइट्स में इस तरह के वीडियो दिखाता ही है।
- इस वीडियो में फ्लाइट अटेंडेंट कहता है- जब आपकी जान खतरे में हो तो सबसे पहले खुद को बचाइए, लगेज की फिक्र छोड़ दें। यह वीडियो एनिमेशन फॉर्म में है और इसमें बताया गया है कि बैग्स और हाई हील शूज की वजह से आग ज्यादा तेजी से फैलती है और इवैक्यूएशन स्लाइड्स से गिरकर घायल होने या जान गंवाने का खतरा भी रहता है।
तस्वीर 2 जनवरी को हुए हादसे की है। एक एयरक्राफ्ट में आग लग गई थी।
एक्सपर्ट्स ने क्या कहा था
- ब्रिटेन की एक एयर सेफ्टी और एविएशन एजेंसी के एक्सपर्ट पॉल हाएस के मुताबिक- केबिन क्रू ने लाजवाब काम किया था। उन्हें सैल्यूट। यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि सभी पैसेंजर और क्रू सही-सलामत हैं। किसी को गंभीर चोट तक नहीं आई।
- पूर्व ट्रैफिक कंट्रोलर माइकल रॉब्सन ने चैनल 4 न्यूज से कहा- इतने खतरनाक हालात में भी सभी को बचा लेना…। मैं तो चमत्कार ही मानूंगा।
- पायलट और US बेस्ड एविएशन सेफ्टी कंसल्टेंसी के चीफ जॉन कॉक्स के मुताबिक क्रू ने जबरदस्त काम किया। ये बताता है कि उनकी ट्रेनिंग कितनी शानदार है। अगर आप इवैक्यूएशन वीडियो को ध्यान से देखें तो कोई पैसेंजर किसी तरह का सामान लेकर बाहर नहीं आया। वो सिर्फ जान बचा रहे थे। याद कीजिए इसी JAL का एयरक्राफ्ट 12 अगस्त 1985 को टोक्यो और ओसाका के बीच क्रैश हुआ था। 524 में से 520 पैसेंजर मारे गए थे।
तस्वीर 3 जनवरी 2024 की है। 2 जनवरी को हुए प्लेन क्रैश के अगले दिन यह फोटो ड्रोन के जरिए क्लिक किया गया था।
…तो 90 सेकेंड में सभी की जान कैसे बची थी
- एक्सपर्ट्स ने इसका क्रेडिट क्रू और एयरक्राफ्ट के इमरजेंसी एग्जिट सिस्टम को दिया था। कॉक्स के मुताबिक- पैसेंजर्स को पता था कि उन्हें हर हाल में क्रू की बात ही माननी है। इस एयरक्राफ्ट की तीन एग्जिट स्लाइड्स और 10 में से पांच एग्जिट गेट इस्तेमाल किए गए थे। केबिन और एयरक्राफ्ट में हल्का धुआं था। लिहाजा, पैसेंजर्स को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और वो बेहोश होने से पहले ही प्लेन से बाहर आ गए।
- ओहियो यूनिवर्सिटी में एविएशन सेफ्टी के प्रोफेसर शॉन प्रुचिंस्की कहते हैं- लोगों की समझदारी को भी सलाम करते हैं। कई बार लोग अपने लगेज बैग्स निकालने की कोशिश में वक्त गंवा देते हैं, और ये भारी पड़ता है। मैं तो कहता हूं कि पूरी दुनिया में इवैक्यूएशन टाइम 90 सेकेंड या इससे कम तय किया जाना चाहिए। इसमें ये नहीं देखना चाहिए कि वो एयरबस है या कोई दूसरा एयरक्राफ्ट।
- ‘एयरलाइनरेटिंग’ वेबसाइट के एडिटर इन चीफ ज्यॉफ्री थॉमस के मुताबिक एयरक्राफ्ट में 6 इमरजेंसी एग्जिट स्लाइड थीं। क्रू ने सिर्फ तीन का इस्तेमाल किया और देखिए नतीजा। एग्जिट गेट 10 थे। उन्होंने सिर्फ पांच इस्तेमाल किए।