कर्ज के लिए डायरेक्ट डेबिट मेंडेट की शर्त साइन की गई।
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कर्ज देने वाले संस्थानों ने राजस्थान सरकार की गारंटी को मानने से मना कर दिया। इन संस्थानों से पैसे लेने के लिए डायरेक्ट डेबिट मेंडेट (DDM) की शर्त साइन की गई। सामान्य सरकारी गारंटियों के विपरीत जहां ऋणदाता ऑफ बजट बोरोइंग की वसूली के लिए पहले राज्य सरकार को लिखता है। लेकिन, DDM के मामले में यदि उधार लेने वाली इकाई द्वारा ऋण चुकाने में चूक हो जाती है तो आरबीआई बिना किसी पूर्व सूचना के अपने पास रखे राजस्थान राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund) यानी आरबीआई में जमा राज्य सरकार के खजाने से डेबिट करने के लिए अधिकृत हो जाता है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है। ऐसी स्थिति में राज्य ओवर ड्राफ्ट में जा सकता है, जिससे राज्य की वित्तीय साख दांव पर लग सकती है।
आरबीआई की ओर से तय की गई गई कर्ज की सीमा भी पार हो गई तो अफसरों ने कर्ज के लिए ऑफ बजट बोरोइंग का रास्ता निकाल लिया। इसमें बोर्ड- कॉरपोरेशन और सरकारी कंपनियों के नाम पर बाजार से 1 लाख करोड़ रुपए का कर्ज उठाया गया। लेकिन, इससे भी बड़ी बात यह है कि वित्तीय संस्थानों ने जब राजस्थान सरकार की गारंटी को नहीं माना तो पैसा लेने के लिए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से तय की गई सीमा से बाहर जाकर ऋण लिया गया।
विधानसभा को बताए बिना RWSSC को HUDCO व अन्य वित्तीय संस्थानों से 4000 करोड़ रुपए का लोन दिलवाया गया। इस कर्ज को अन्य योजनाओं में ठिकाने लगा दिया। फिर इस कर्ज को चुकाने के लिए विधानसभा को बताए बिना पीएचईडी का 500 करोड़ का राजस्व बजट मद 0215 में जमा करवाए बिना सीधे RWSSC को ट्रांसफर करने का प्रावधान कर दिया।
तो बोर्ड-कॉरपोरेशन के नाम पर बाजार से उठाया 1 लाख करोड़ का लोन
बाजार से उधार लेने का सरकार का कोटा रीत गया तो बोर्ड, कॉरपोरशन और सरकारी कंपनियों को लाइन पर लगा दिया। मौजूदा समय में इन संस्थानों पर 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। हैरानी की बात यह है कि न सिर्फ इन संस्थाओं के नाम पर हजारों करोड़ रुपए कर्ज लिए गए, बल्कि इनमें से कुछ संस्थानों की तो फिक्स डिपॉजिट (FDR) तक तुड़वाकर दिए गए। नवंबर 2023 की स्थिति में सरकार के बोर्ड, कॉरपोरेशन और कंपनीज पर कुल मिलाकर 1 लाख 7982 करोड़ रुपए का कर्ज है। बीते पांच सालों में यह बिजली की रफ्तार से बढ़ा है।
दिसंबर 2017 में बोर्ड, कॉरपोरेशन और पीएसयूज पर करीब 55 हजार करोड़ रुपए का लोन था। इन सबके बावजूद हाल यह है कि 30 हजार करोड़ से ज्यादा के बिल अब भी ट्रेजरीज में भुगतान के लिए लंबित पड़े हैं। जो कर्ज लिया है उसका ब्याज और मूलधन चुकाने के लिए अगले वित्त वर्ष 70 हजार करोड़ खर्चने होंगे।