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नई दिल्ली21 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इन सवालों का जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को केंद्र से पूछा कि ट्रेन हादसे रोकने के लिए रेलवे में क्या सेफ्टी पैरामीटर लगाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच’ की जानकारी भी मांगी। जस्टिस सूर्य कांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि रेलवे ने कौन से सुरक्षा उपाय लागू किए हैं या करने वाली है, चार हफ्ते बाद होने वाली सुनवाई में इसकी डिटेल दें।
जून में हुए ओडिशा ट्रेन हादसे में 293 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद सरकार ने कवच सिस्टम लाने की बात कही थी। कोर्ट ने पूछा कि कवच सिस्टम को पूरे देश में लागू करने पर कितना आर्थिक बोझ पड़ने वाला है, क्या इसका आकलन करने के लिए कोई प्रक्रिया अपनाई गई है?
तस्वीर बालासोर हादसे के बाद की है। यहां चार ट्रैक थे। सभी उखड़ गए। डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़ गए।
याचिका में की गई रेल हादसे रोकने के उपायों को लागू करवाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें हादसे रोकने के लिए ‘रेलवे एक्सीडेंट प्रोटेक्टिव’ उपायों को लागू करवाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। इस याचिका में ये मांग भी की गई कि रेलवे में तत्काल प्रभाव से कवच सिस्टम को लागू करने के लिए गाइडलाइन जारी करें।
याचिका में कहा गया कि ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के सेफ्टी मेकैनिज्म को अब तक देशभर में ग्राउंड लेवल पर लागू नहीं किया गया है। ये साबित हो चुका है कि कवच जो कि ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, वह ओडिशा के बालासोर में हादसे वाले रूट पर अब तक नहीं लगाया गया है।
क्या है रेल कवच, जिससे ओडिशा रेल हादसे को टाला जा सकता था?
रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे ‘ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम’ यानी TCAS कहते हैं। यह भारत में 2012 में बनकर तैयार हुआ था। इंजन और पटरियों में लगे इस डिवाइस की मदद से ट्रेन की ओवर स्पीडिंग को कंट्रोल किया जाता है।
इस तकनीक में किसी खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है। तकनीक का मकसद ये है कि ट्रेनों की स्पीड चाहे कितनी भी हो, लेकिन कवच के चलते ट्रेनें टकराएंगी नहीं।
सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 सर्टिफाइड रेल कवच को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन यानी RDSO ने बनाया है।
मार्च 2023 में रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव ने सेंट्रल रेलवे सेक्शन में कवच सिस्टम का टेस्ट किया था। इस टेस्ट के दौरान एक ट्रेन और एक इंजन को एक ही ट्रैक पर 160 किमी/घंटे की रफ्तार से एक-दूसरे की तरफ चलाया गया। कवच सिस्टम ने ट्रेन को इंजन से 380 मीटर दूर रोक दिया।
रेल कवच दो ट्रेनों के बीच टक्कर को आखिर रोकता कैसे है?
इस टेक्नोलॉजी में इंजन माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी GPS और रेडियो संचार के माध्यम सिग्नल सिस्टम और कंट्रोल टावर से जुड़ा होता है। यह ट्रेन के ऐसे दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकता है, जिनमें रेल कवच सिस्टम काम कर रहा हो।
एक ही ट्रैक पर आमने-सामने से दो ट्रेनें आने पर कवच ऐसे रोकेगा हादसा…
- अगर रेड सिग्नल है तो ड्राइवर को दो किलोमीटर पहले ही इंजन में लगे डिसप्ले सिस्टम में यह दिख जाएगा।
- इसके बावजूद यदि ड्राइवर रेड सिग्नल की अनदेखी करता है और स्पीड को बढ़ाता है तो कवच एक्टिव हो जाता है।
- कवच तुरंत ड्राइवर को अलर्ट मैसेज भेजता है। साथ ही इंजन के ब्रेकिंग सिस्टम को सक्रिय कर देता है।
- ड्राइवर के ब्रेक नहीं लगाने पर भी ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाते हैं और एक सेफ डिस्टेंस पर यह ट्रेन रुक जाती है। यानी दोनों ट्रेनों के बीच आमने-सामने की टक्कर नहीं होती है।
2 जून को हुआ था बालासोर हादसा
2 जून 2023 को बालासोर में 3 ट्रेनों की टक्कर में 293 लोगों की मौत हुई थी। शाम 8 बजे यह पता चला कि एक ट्रेन पटरी से उतर गई है। इसमें 30 लोगों की मौत हुई है…. जैसे-जैसे समय बीतता गया, तब जानकारी मिली कि दो ट्रेनों की टक्कर हुई है, लेकिन बाद में तीन ट्रेन टकराने की खबर सामने आई। इन ट्रेन के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए। देर रात तक मरने वालों का आंकड़ा 200 के पार चला गया।
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