न्यूयॉर्क17 मिनट पहले
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फुटेज में अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू लोगों से घिरे दिखाई दे रहे हैं।
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ खालिस्तान समर्थकों ने बदसलूकी की। दरअसल, संधू सोमवार को न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड गुरुद्वारे में गुरु परब (गुरु नानक जयंती) मनाने के लिए पहुंचे थे। यहां खालिस्तानी समर्थकों ने उन पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कराने का आरोप लगाया। एक खालिस्तानी यह कहता सुनाई दे रहा है कि तुमने पन्नू को मरवाने की साजिश रची।
संधू के साथ बदसलूकी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। इसमें पूरी घटना के दौरान तरनजीत सिंह संधू बिल्कुल चुप दिखाई दे रहे हैं। जबकि गुरुद्वारे में मौजूद कुछ लोग खालिस्तान समर्थकों को पीछे की तरफ हटाते दिख रहे हैं।
न्यूयॉर्क के गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों से खुद को बचाते हुए तरनजीत सिंह संधू।
निकलते वक्त खालिस्तानी झंडा दिखाया
गुरुद्वारे में खालिस्तानियों ने भारत के खिलाफ नारेबाजी की। जब तरनजीत सिंह संधू गुरुद्वारे से निकलने लगे तो एक प्रदर्शनकारी ने वहां खालिस्तानी झंडा फहराया। गुरुद्वारे में हुई धक्का-मुक्की के बाद संधू ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने घटना का कोई जिक्र नहीं किया। उन्होंने लिखा- लॉन्ग आइलैंड में लोकल संगत में हिस्सा लेकर अच्छा लगा। कीर्तन सुना और गुरु नानक के एकता, समानता के संदेश के बारे में बात की।
यह घटना उस वक्त हुई, जब हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत ने अमेरिका में आतंकी पन्नू को मरवाने की साजिश रची, जिसे वहां के प्रशासन ने नाकाम कर दिया। न्यूयॉर्क के गुरुद्वारे में संधू के खिलाफ प्रदर्शन कराने का आरोप हिम्मत सिंह नाम के एक शख्स पर लगा है।
गुरुद्वारे में हुई धक्का-मुक्की के बावजूद अमेरिका में भारत के राजदूत संधू संगत में शामिल हुए।
60 दिन में दूसरा मामला
बीते दो महीने में यह दूसरा ऐसा मामला है, जब भारतीय डिप्लोमैट के साथ खालिस्तानी समर्थकों ने बदसलूकी की है। संधू से पहले सितंबर में ब्रिटेन में भारत के हाई कमिश्नर विक्रम दोराईस्वामी के साथ भी स्कॉटलैंड के ग्लासगो गुरुद्वारे में अभद्रता की गई थी। भारत ने इस तरह की बढ़ती घटनाओं का विरोध किया है।
हाल ही में अमेरिका के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भारत आए थे। उस वक्त भी यह मुद्दा उठा था। भारत ने इनपुट साझा कर बताया था कि वहां आतंकियों, अपराधियों के बीच एक नेक्सस काम कर रहा है, जो दोनों देशों की सिक्योरिटी के लिए खतरा साबित हो सकता है।
स्कॉटलैंड में ग्लासगो गुरुद्वारे के बाहर भारतीय उच्चायुक्त को कार में बैठाकर वापस भेजते खालिस्तान समर्थक।
पन्नू और निज्जर कौन हैं जिन्हें मरवाने के आरोप भारत पर लग रहे?
आतंकी हरदीप सिंह निज्जर
पंजाब के जालंधर जिले में एक गांव है भार सिंह पूरा। 11 अक्टूबर 1977 को यहीं पर हरदीप सिंह निज्जर का जन्म हुआ। 1984 में निज्जर सिर्फ 7 साल का था, जब देश में दो बड़ी घटनाएं हुई…
1. ऑपरेशन ब्लू स्टार
2. इंदिरा गांधी की हत्या।
इन दोनों ही घटनाओं का असर पंजाब के हर गांव पर हुआ। इस समय राज्य में खालिस्तान आंदोलन चरम पर था। 12 से 15 साल के लड़के खालिस्तान आंदोलन से जुड़ रहे थे। इसी उम्र में हरदीप सिंह निज्जर भी इससे जुड़ गया। 1995 में पंजाब पुलिस पूरे राज्य में खालिस्तानी उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी। इस समय निज्जर की भी गिरफ्तारी हुई। 1997 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के टारगेट पर आने के बाद निज्जर ने देश छोड़ दिया।
2022 में कनाडा समेत दुनिया के कई देशों में खालिस्तान को लेकर होने वाले जनमत संग्रह के लिए निज्जर ने दर्जनों देशों का दौरा किया था। वह लंबे समय से ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरसंहार का दर्जा दिलाने की मांग कर रहा था।
2007 में पंजाब के एक सिनेमाघर में हुए बम धमाके में भी निज्जर को आरोपी बनाया गया था। उसके खिलाफ 2016 के इंटरपोल नोटिस में आरोप लगाया गया था कि वह इस हमले में एक प्रमुख साजिशकर्ता था।
सितंबर 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निज्जर को आतंकी घोषित कर दिया। इसके बाद निज्जर की जालंधर के भारसिंहपुरा गांव की प्रॉपर्टी भी कुर्क कर ली गई।
18 जून 2023 को कुछ हथियारबंद लोगों ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी। हत्या के ठीक 3 महीने बाद 18 सितंबर को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या कराने के आरोप लगाए। इन्हें भारत ने सिरे से खारिज किया है।
आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू
भारत को धमकी देने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की नागरिकता है। पन्नू भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का हेड है। भारत ने 2020 में उसे आतंकी घोषित किया था। वह कुछ समय तक अंडरग्राउंड भी रहा। उस पर कनाडा और अमेरिका में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचने के आरोप हैं।
पन्नू मूल रूप से अमृतसर के खानकोट गांव का रहने वाला था। जिसके बाद वह विदेश चला गया। वहां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर खालिस्तानी मंसूबों को पूरा करने में जुट गया। वह अमेरिका के अलावा इंग्लैंड और कनाडा में अपने संगठन के जरिए भारत विरोधी प्रोपेगैंडा चलाता रहा।
पन्नू को क्यों बचा रहा अमेरिका?
विदेश मामलों के जानकार राजन कुमार के मुताबिक कनाडा और अमेरिका में कई गैंग ऑपरेट करते हैं। ये आपस में एक-दूसरे के खिलाफ काम करते हैं। ऐसा हो सकता है कि पन्नू पर हमले में भारत का कोई रोल नहीं हो और किसी गैंग के किए अपराध का इल्जाम भारत पर लगा हो।
पन्नू को बचाने के पीछे 2 वजह हो सकती हैं…
- अमेरिका ने खुद दूसरे देशों में ऑपरेशन चलाकर अपने दुश्मनों को मरवाया है। हालांकि वह भारत से उम्मीद करता है कि एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करे। यही वजह है कि अमेरिका ने पन्नू को बचाने की कोशिश की है और भारत को डिप्लोमैटिक वॉर्निंग दी है।
- पन्नू के पास कनाडा के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है। ऐसे में सभी देश अपने नागरिकों को सुरक्षा की गारंटी देते हैं। इस वजह से भी पन्नू को बचाने के लिए अमेरिका आगे आया।
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