नई दिल्लीएक घंटा पहले
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तस्वीर पाकिस्तानी एयरफोर्स के सैनिकों की है। (फाइल)
03- 04 नवंबर की दरमियानी रात को लगभग 2 बजे कुछ हमलावरों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में वायु सेना के उच्च सुरक्षा वाले मियांवाली ट्रेनिंग एयर बेस पर हमला कर दिया ।
बाद में पाकिस्तानी सेना की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस हमले में भाग लेने वाले 9 आतंकियों को मार गिराया गया और हमले में तीन गैर-परिचालन विमानों और एक पोर्टेबल ईंधन ट्रक को कुछ नुकसान हुआ।
उक्त हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के नवगठित सहयोगी तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान (टीजेपी) ने ली थी।
पाकिस्तान एयरबेस के ऊपर धमाके से जुड़ा ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
दैनिक भास्कर ने पाकिस्तान स्थित जानकार सूत्रों से इस मुद्दे पर बात कर जो जानकारी जुटाई है, उससे यह साफ प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी सेना इस हमले से जुड़े काफी सारे तथ्य छिपा रही है।
भास्कर द्वारा एकत्र की गई जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना के कम से कम 12 सैनिक जो उस समय एयरबेस के अंदर मौजूद थे, इस हमले में मारे गए।
हालांकि पाकिस्तानी सेना ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में इस बारे में कुछ भी नहीं बताया है कि हमले में उसके कितने सैनिक और अधिकारी मारे गए।
इसी तरह, सूत्रों ने भास्कर को बताया कि इस हमले में कम से कम 6 विमान, जिनमें मानव रहित हवाई वाहन (UAV) भी शामिल है, पूरी तरह तबाह हो गए।
सूत्रों के अनुसार रॉकेट लॉन्चर का उपयोग करके एक रडार टॉवर को भी नष्ट कर दिया गया। सूत्रों ने पुष्टि की है कि हमलावरों ने एक नियंत्रण कक्ष को भी नष्ट कर दिया, जिसका उपयोग विमानों को उड़ान भरने और उतरने में मार्गदर्शन करने के लिए किया जाता था।
हमले में ये शामिल थे
हमले में सात लोग शामिल थे, न कि नौ जैसा कि पाकिस्तान की मिलिट्री ने दावा किया है। इस फिदायीन समूह का नेतृत्व कमांडर मौलवी मुहम्मद बिन कासिम कर रहा था। बाकी लोग जो इस हमले में शामिल थे, उनके नाम कारी सलाहुद्दीन अयूबी, हुसैन अहमद मदनी, तारिक बिन जायद, जाफरतियार शहीद, मुतासिम बल्लाह और ओसामा बिन जायद है।
हमले की तैयारी 40 दिन चली
सूत्रों ने कहा कि ये सात लोग एक लकड़ी की सीढ़ी का उपयोग करके परिसर में दाखिल हुए। एयर बेस परिसर में मौजूद पाकिस्तान आर्मी के कुछ सैन्य कर्मियों ने उनको अंदर घुसने में मदद की। सूत्रों ने बताया कि हमले की तैयारी लगभग 40 दिन से चल रही थी।
UAV रखे जाते थे
भास्कर को मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तानी वायु सेना नवंबर 2017 से इस एयरबेस का उपयोग ‘विंग लूंग’ UAV को रखने के लिए कर रही है। यह UAV चीनी कंपनी, चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप (CAIG) ने बनाए हैं। इन UAV का उपयोग हवा से निगरानी करने के अलावा हवा से सतह पर अपने टारगेट पर बम गिराने के लिए किया जाता है।
पाक एयर फोर्स के पास फिलहाल ऐसे 45 UAV हैं। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सशस्त्र समूहों के खिलाफ हमले करने के लिए इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। संभावना है कि इस हमले में नष्ट हुए विमानों में ये UAV भी थे।
इस एयरबेस में K-8P (एक चीन निर्मित दो सीट वाला जेट ट्रेनर और हल्का विमान), चेंगदू J-7 (चीन द्वारा बनाया गया एक लड़ाकू विमान) और अलौएट III हेलिकॉप्टर (एक एकल इंजन, हल्के हेलिकॉप्टर) भी रखे हुए हैं।
रडार सिस्टम भी था
सूत्रों ने भास्कर को बताया कि वहां एक रडार सिस्टम भी था जिसे हमलावरों ने नष्ट कर दिया। संभवत: यह रडार चीन निर्मित, JY-27A है जो एक 3-डी लंबी दूरी तक वायु निगरानी और मार्गदर्शन करने में उपयोग होता है। यह रडार सिग्नल को जाम करने में भी काम आता है। इसको एक जगह से दूसरी जगह बड़ी आसानी से ले जाया जा सकता है।
इसे अगस्त 2020 में इस एयर बेस पर लाया गया और स्थापित किया गया। यही रडार सिस्टम चीनी सेना ने भारत के खिलाफ पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के किनारे पर भी स्थापित किया है।
ये तस्वीर मियांवाली एयरबेस की है, जहां एयरफोर्स ने 9 आतंकियों को मार गिराया था।
इसलिए निशाना बनाया
जमीनी घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि उक्त एयर बेस को हमले के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर लोगों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन और UAV यहां तैनात हैं। इसकी जानकारी तहरीक-ए-जिहाद के लड़ाकों को पाकिस्तान मिलिट्री के अंदरूनी सूत्रों ने दी थी।
पाकिस्तानी वायु सेना के कुल 46 एयर बेस
पाकिस्तानी वायु सेना कुल 46 एयर बेस संचालित करती है, जिनमें से 29 को ‘फ्लाइंग बेस’ के रूप में क्लासीफाई किया गया है। इन फ्लाइंग बेस से विमान और ड्रोन संचालित होते हैं, जबकि 17 गैर-उड़ान श्रेणी के एयर बेस हैं, जहां से प्रशासनिक, प्रशिक्षण, रखरखाव कार्य और मिशन सहायता को अंजाम दिया जाता है।
पीएएफ बेस एमएम आलम जो कि पंजाब प्रांत में मियांवाली में स्थित है, को पहले पीएएफ बेस मियांवाली कहा जाता था। इसका नाम 2014 में बदलकर एमएम आलम कर दिया गया। आलम एक एयर कमोडोर थे, जिनके बारे में पाकिस्तान का दावा है कि उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सात भारतीय विमानों को मार गिराया था। बाद में उन्हें पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार सितारा-ए-जुरात दिया गया।
इसलिए सच्चाई छिपाई
एक सबसे बड़ा कारण इस हमले से जुड़ी सच्चाई को छिपाने का यह है कि पाकिस्तान अपने सैनिकों की मौत और अपने लड़ाकू विमानों के नष्ट होने की बात कबूल कर लेता तो उसके सैन्य ठिकानों की सुरक्षा और उसके सैनिकों की ट्रेनिंग पर सवाल उठने लगेंगे कि कैसे कुछ कबीलाई लड़ाके इतने सुरक्षित एयर बेस में घुस गए और इतनी आसानी से पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को मार गिराया ।