चंडीगढ़। पीजीआई, पीयू, नगर निगम के पक्के कर्मी बन एसबीआई को 3.66 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में अहम खुलासा हुआ है। ईओडब्यू द्वारा पकड़े गए नयागांव के 30 वर्षीय अर्शप्रीत सिंह उर्फ अर्श और बलटाना के 45 वर्षीय राधिक कालिया उर्फ राजीव से गहन पूछताछ में कई जानकारियां सामने आ रही हैं। लोन देते वक्त तय प्रक्रिया की पालना नहीं हुई थी। ऐसे में बैंक कर्मी भी पुलिस की जांच के दायरे में हैं।
जांच में यह भी पाया गया कि अर्शप्रीत और राधिक ने फर्जी इंप्लाई कार्ड, सैलरी स्लिप और फार्म नंबर 16 बेंक कर्मियों व अन्यों की मिलीभगत से तैयार किए। बारहवीं पास अर्शप्रीत फाइनेंसर का काम करता है। वहीं, नौंवी पास राधिक निजी सेक्टर में नौकरी करता है। दोनों को इस घपले का मास्टरमाइंड बताया गया है। पता चला है कि कुल लोन लेने वालों ने 10 प्रतिशत कमीशन लोन यशिका जसवाल के एसबीआई खाते में डाला था, जिसने अपना कमीशन काट कर आगे यूपीआई/आईएमपीएस के तहत राधिक कालिया के इंडसलैंड बैंक खाते में डाल दी।
वहीं, अर्शप्रीत के एसबीआई खाते में भी रकम डाली गई। वहीं, राधिक ने अपना हिस्सा रख बाकी रकम अर्शप्रीत के आईसीआईसीआई खाते में भी डाली। कुछ लोन लेने वालों ने राधिक और अर्शप्रीत के खातों में लोन कमीशन डाला था। एक लोन फाइल की जांच में सामने आया है कि अर्शप्रीत ने 19 अप्रैल 2022 को एक स्टांप पेपर खरीदा था जबकि लोन 28 अक्तूबर 2021 को स्वीकृत हुआ था। वहीं, लोन प्राप्त करने वाले अशोक के दस्तखत भी संदेहास्पद हैं। यह उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड व स्टांप पेपर पर भिन्न हैं।
ठेका कर्मियों द्वारा सरकारी कर्मी बन रायपुरकलां शाखा से लोन के नाम पर 3.66 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया था। बीते 26 अगस्त को आपराधिक रूप से विश्वासघात, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं में मौलीजागरां थाने में मामला दर्ज हुआ था। एसबीआई, पंचकूला के आरबीओ-1 ऋषि कुमार की शिकायत पर अभिनाष कुमार व 97 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। अभिनाश ने एक्सप्रेस क्रेडिट योजना के तहत 13 जनवरी, 2021 को 4.20 लाख रुपये लोन का आवेदन किया था। वहीं बाकियों ने भी लोन के लिए आवेदन किया था। इसके लिए दस्तावेज जमा करवाए गए थे। बैंक ने इन 98 लोगों के लोन की मंजूरी दे दी थी।