7 घंटे पहले
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यूरोपीय देश आइसलैंड में पिछले 14 घंटों में 800 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इनमें सबसे बड़े झटके की तीव्रता 5.2 रही। अधिकारियों के मुताबिक धरती के नीचे हो रही गतिविधियों की वजह से ज्वालामुखी फटने का भी डर है। इस बीच नेशनल पुलिस चीफ ने वहां इमरजेंसी घोषित कर दी है।
वहीं, लोकल अथॉरिटी ने आशंका जाहिर की है आइसलैंड में कुछ दिनों के भीतर ज्यादा तीव्रता के भूकंप भी आ सकते हैं। आइलैंड के मेट ऑफिस के मुताबिक वहां अक्टूबर से 24 हजार भूकम्प के झटके आ चुके हैं। ज्यादातर भूकम्प के झटके रात 12 से 2 बजे तक महसूस हुए।
न्यूज एजेंसी AFP ने शनिवार को बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर शहर में रहने वाले हजारों लोगों को जगह खाली करने के आदेश जारी किए हैं। आइसलैंड में 33 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो यूरोप में सबसे अधिक है। आइसलैंड मिड-अटलांटिक रिज तक बसा है, जो समुद्र तल में एक दरार है। इसी दरार की वजह से वहां ज्यादा भूकंप आते हैं।
तस्वीर अटलांटिक महासागर के नीचे पड़ी दरार की है।
जाने भूकंप कैसे आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
ज्वालामुखी क्या होता है?
ज्वालामुखी धरती की सतह पर मौजूद प्राकृतिक दरारें होती हैं। इनसे होकर धरती के आंतरिक भाग से पिघला हुआ पदार्थ जैसे मैग्मा, लावा, राख आदि विस्फोट के साथ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी पृथ्वी पर मौजूद 7 टेक्टोनिक प्लेट्स और 28 सब टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने के कारण बनते हैं। दुनिया का सबसे एक्टिव ज्वालामुखी माउंट एटना इटली में है।