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पंजाब में पटवारियों की ओर से खाली पटवार सर्कलों की जिम्मेदारी छोड़ने के बाद 3193 हलकों में आम लोगों को रजिस्ट्री संबंधी कागजात के सत्यापन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कागजात के सत्यापन संबंधी काम पूरी तरह ठप होकर रह गया है, जिसके मद्देनजर अब राज्य सरकार ने इन हलकों में संपत्तियों की रजिस्ट्री संबंधी कागजात के सत्यापन का काम गैर-राजस्व अधिकारियों को सौंप दिया है। यह काम अब गांव के लंबरदार, पंचायत सचिव, स्कूलों के प्रिंसिपल व हेडमास्टर भी कर सकेंगे। इसके अलावा सरकारी गजटेड अधिकारियों को भी कागजात के सत्यापन का जिम्मा सौंपा गया है।
सरकार ने आम लोगों की परेशानी दूर करने के लिए उक्त फैसला लिया है, हालांकि इसके तहत अब प्रत्येक कागजात को नियुक्त किए गए उपरोक्त दो अधिकारियों के हस्ताक्षर जरूरी कर दिए गए हैं। इसके अलावा जमीन के रिकॉर्ड संबंधी रिपोर्ट, जमीन पर कोई डिकरी आदि नहीं है, यह सत्यापन भी अब एएसएम जारी करेंगे।
एएसएम को ऑनलाइन राजस्व रिकॉर्ड के तहत गांवों में पिछली जमाबंदी के आधार पर फर्द जारी करने का काम भी सौंपा गया है। वहीं, जमीन के मालिकाना हक और हलके में कलेक्टर रेट के बारे में रिपोर्ट तैयार करने का काम रजिस्ट्री क्लर्कों को सौंपा गया है।
पटवारियों द्वारा छोड़े गए पटवार सर्कलों में जमीन गिरवी रखने, स्टे ऑर्डर जैसे रिकॉर्ड अब नायब तहसीलदार के अधीन रहेंगे और वही इनका रिकॉर्ड भी रखेंगे। इसके लिए एक नियमित रजिस्टर तैयार होगा। इसी तरह अन्य दस्तावेजों के लिए भी जिलेवार अलग-अलग अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो संबंधित जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तय की गई हैं।
पटवारियों में सरकार से फैसले से नाराजगी
उधर, विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के नाराज चल रहे पटवारियों ने सरकार के उपरोक्त फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। पटवार यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही यूनियन ने दावा किया है कि सरकार ने खाली पटवार सर्कलों में जिन 514 रिटायर्ड पटवारियों की तैनाती की है, उनमें से अधिकतर पटवार यूनियन के साथ हैं।