
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
पाकिस्तान के गृह मंत्री और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी। एशिया कप की ट्रॉफी टीम इंडिया के हवाले करने से इंकार कर दिया।
BCCI ने साफ कर दिया कि भारतीय टीम मोहसिन नकवी के हाथ से ट्रॉफी नहीं लेगी, नकवी एशिया कप की जो ट्रॉफी लेकर भागे हैं, वो एशियन क्रिकेट काउंसिल के दफ्तर में पहुंचा दें, भारत वहीं से ट्रॉफी ले लेगा। लेकिन मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी दुबई के उस होटल में रखी हुई है जिसमें वो ठहरे हैं।
मोहसिन नकवी कह रहे हैं कि ट्रॉफी टीम इंडिया ले ले उन्हें कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन ट्रॉफी उन्हीं के हाथ से लेनी होगी।
हालांकि सूर्य कुमार यादव और उनकी पूरी टीम भारत लौट आई है, एशिया कप के फाइनल मैच को जीते हुए भी तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन मोहसिन नकवी ने न तो ट्रॉफी टीम इंडिया को दी, न खिलाड़ियों के मेडल्स दिए।
मोहसिन नकवी की इस बेजा हरकत को लेकर ACC की मीटिंग में जबरदस्त नोंकझोंक हुई। BCCI ने मोहसिन नकवी को खूब खरी-खोटी सुनाई। अब मामला ICC के पास जाएगा। इतना तो तय है कि एशिया कप ट्रॉफी टीम इंडिया के पास ही आएगी लेकिन सवाल ये है कि मोहसिन नकवी ट्रॉफी लेकर क्यों भागे।
मोहसिन नकवी ने भारत को एशिया कप की ट्रॉफी देने के लिए अब एक नई शर्त रखी है। नकवी ने कहा है कि वो टीम इंडिया को ट्रॉफी देने को राजी हैं लेकिन अवार्ड समारोह फिर से हो, समारोह में वही टीम इंडिया को ट्रॉफी देंगे और उसका लाइव टेलीकास्ट किया जाए। BCCI ने मोहसिन नकवी की इस शर्त को सिरे से खारिज कर दिया।
दुबई में मंगलवार को एशियन क्रिकेट काउंसिल की वार्षिक आम बैठक में BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और बोर्ड के सदस्य आशीष शेलार पहुंचे। उन्होंने एशियन क्रिकेट काउंसिल से एशिया कप की ट्रॉफी नहीं मिलने पर कड़ा ऐतराज जताया।
BCCI के अधिकारियों ने कहा कि भारत ने कप जीता है और ट्रॉफी पर टीम इंडिया का अधिकार है। भारतीय टीम को ट्रॉफी मिलनी चाहिए, ACC अध्यक्ष मोहसिन नकवी ट्रॉफी को तुरंत ACC के दफ्तर में पहुंचाएं, टीम इंडिया वहीं से ट्रॉफी ले लेगी। राजीव शुक्ला ने कहा कि ट्रॉफी एशियन क्रिकेट काउंसिल की है, किसी की बपौती नहीं, जो अपनी मर्जी से उसे अपने घर ले जाए, होटल में अपने कमरे में रख ले। लेकिन मोहसिन नकवी टीम इंडिया की जीत से इतने बौखलाए हुए हैं कि जब मीटिंग शुरू हुई, तो उन्होंने नेपाल को वेस्टइंडीज पर जीत की मुबारकबाद दी, मंगोलिया को ACC का सदस्य बनने पर भी बधाई दी लेकिन एशिया कप जीतने पर टीम इंडिया को मुबारकबाद तक नहीं दी।
इस पर आशीष शेलार ने आपत्ति जताई, तब मोहसिन नकवी ने बेमन से भारत को जीत की बधाई दी।
मोहसिन नकवी ने कहा कि वो टीम इंडिया को ट्रॉफी देने के लिए एक घंटे से ज्यादा वक्त तक मंच पर खड़े इंतज़ार करते रहे, उनका मजाक बना, पूरी दुनिया की नजर में वो कार्टून बन गए, इसलिए वो ट्रॉफी और मेडल तभी देंगे, जब अवार्ड सेरेमनी फिर से होगी और टीम इंडिया उनके हाथ से ट्रॉफी लेने को तैयार होगी।
अब भारत मोहसिन नकवी के इस रुख की शिकायत ICC से करेगा। वहीं एशियन क्रिकेट काउंसिल ने अब ट्रॉफी का फैसला ACC के पांच टेस्ट खेलने वाले सदस्यों – भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान पर छोड़ दिया है। इस मसले को सुलझाने के लिए पांचों देशों के क्रिकेट बोर्ड्स की बैठक जल्दी ही बुलाई जाएगी।
अब मैं आपको बताता हूं कि रविवार को फाइनल के बाद इतना ड्रामा क्यों हुआ। टीम इंडिया ने पुरस्कार समारोह शुरू होने से पहले ही बता दिया था कि वो मोहसिन नकवी के हाथ से ट्रॉफी नहीं लेगी। तय हुआ कि मंच पर मोहसिन नकवी, एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष खालिद अल जरूनी और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अमीनुल इस्लाम मौजूद रहेंगे, लेकिन मोहसिन नकवी किसी को कोई अवार्ड या मेडल नहीं देंगे। खिलाड़ियों को व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए अवार्ड घोषित किए गए। भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर्स ने आकर अधिकारियों से अवार्ड लिए। इनमें से कोई भी अवार्ड मोहसिन नकवी ने नहीं दिया।
मंच पर मौजूद दूसरे अधिकारियों ने अवार्ड दिए, तब तक कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन जब ट्रॉफी देने की बात आई, तो मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी पकड़ ली और जिद करने लगे कि टीम इंडिया को ट्रॉफी वही देंगे।
टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड के कमेंटेटर साइमन डूल को संदेश भिजवाया कि भारतीय खिलाड़ी मोहसिन नकवी से ट्रॉफी नहीं लेंगे क्योंकि वो PCB और ACC के अध्यक्ष होने के साथ-साथ पाकिस्तान के गृह मंत्री भी हैं और सोशल मीडिया पर भारत विरोधी बयान देते रहे हैं। साइमन डूल ने इस बात की घोषणा भी कर दी। इसके बाद एशिया कप के मेजबान यूनाइटेड अरब एमिरेट्स ने मोहसिन नकवी और भारतीय टीम के मैनेजमेंट से बात करके बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की ताकि विजेता टीम को ट्रॉफी दी जा सके।
पहले एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड ने ऑफर दिया कि भारतीय टीम को बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अमीनुल इस्लाम से ट्रॉफी दिला दी जाए। टीम इंडिया इसके लिए तैयार हो गई लेकिन, मोहसिन नकवी नहीं राजी हुए। वो अपने हाथ से टीम इंडिया को ट्रॉफी देने पर अड़े रहे।
इसके बाद, एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष खालिद अल जरूनी से टीम इंडिया को ट्रॉफी दिलाने का प्रस्ताव दिया गया। मोहसिन नकवी इसके लिए भी तैयार नहीं हुए। वह मंच पर खड़े होकर टीम इंडिया के ट्रॉफी लेने के लिए आने का इंतजार करते रहे लेकिन भारत के क्रिकेटर्स ने मैदान पर मौजूद होने के बावजूद ट्रॉफी लेने के लिए मंच का रुख नहीं किया। मोहसिन नकवी की जिद की वजह से करीब एक घंटे तक पूरा ड्रामा चलता रहा। आखिर में मोहसिन नकवी मंच छोड़कर होटल रवाना हो गए। उन्होंने अपने अधिकारियों को ट्रॉफी और टीम इंडिया के प्लेयर्स के मेडल भी अपने होटल पहुंचाने का हुक्म दिया। मोहसिन नकवी के आदेश पर उनके अधिकारी ट्रॉफी लेकर होटल चले गए और टीम इंडिया ने ट्रॉफी के बिना ही जीत का जश्न मनाया।
मोहसिन नकवी ने जो किया, उसे कहते हैं, चोरी और फिर सीनाजोरी। क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौका है कि जब जीतने वाली टीम अपनी ट्रॉफी मांग रही है। विजेता टीम के खिलाड़ी अपने मेडल का इंतजार कर रहे हैं लेकिन हारने वाली टीम के चीफ उन पर कब्जा करके बैठे हैं,जिद पर अड़े हैं ‘ट्रॉफी मैं दूंगा।’
सबसे शर्मनाक बात ये है कि ये ट्रॉफी हारने वाली टीम के होटल में बेशर्मी की मिसाल बनकर पड़ी है। पाकिस्तान किकेट बोर्ड के चीफ मोहसिन नकवी दुनिया के पहले क्रिकेट अधिकारी हैं, जो मैदान से ट्रॉफी लेकर भाग गए।
ये भी पहला मौका है जब एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मंच पर कार्टून की तरह खड़े रहे और खिलाड़ियों ने उनकी तरफ देखा भी नहीं। ये भी पहली बार है कि ACC की बैठक में जीतने वाली टीम के अधिकारी अपने हक के लिए बोलते रहे, लेकिन हारने वाले इतने बेशर्म थे कि टस से मस नहीं हुए।
जो लोग गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलते हैं, उनको ऐसी बातों की आदत हो जाती है। वहां अगर कोई हारने लगे तो जीतने वाले का बैट छीनकर भाग जाते हैं।
मोहसिन नकवी का लेवल यही है। उन्हें जितनी जल्दी ACC की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए, क्रिकेट के लिए उतना ही अच्छा होगा।
इंटरनेट पर बैन: तालिबान ने एक और गलती कर दी
अफगानिस्तान में इस वक्त इंटरनेट ब्लैकआउट कर दिया गया है। तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क सर्विस बंद कर दी हैं। काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ और उरुजगान जैसे कई शहरों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट सर्विस ठप होने की वजह से ये शहर देश दुनिया से कट गए हैं।
इस ब्लैकआउट के कारण अफगानिस्तान में इंटरनेशनल कॉल करना संभव नहीं है। मोबाइल नेटवर्क बंद होने से अफगानिस्तान के लोग एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेस नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा, बिजनेस पर भी असर पड़ा है। ऑनलाइन कारोबार पूरी तरह ठप है।
अफगानिस्तान में पहले बल्ख, कंधार, हेलमंद, उरुजगान और निमरोज जैसे कुछ सूबों में फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क बंद किए गए थे लेकिन अब ये इंटरनेट बैन पूरे देश में लागू हो गया है। तालिबानी हुकूमत का कहना है कि इंटरनेट और मोबाइल फोन की वजह से नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है। इंटरनेट की वजह से मुल्क में लोग ऐसी हरकतें कर रहे हैं जो शरिया के खिलाफ है। इसलिए सरकार ने देश में इंटरनेट और मोबाइल फोन सर्विस पर बैन लगाने का फैसला किया है।
तालिबान सरकार के इस फैसले पर किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए। तालिबान के शासन में लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है। लड़कियों को पढ़ने का हक नहीं है। समाज में हर तरह की पाबंदियां लागू हैं। इंटरनेट आज की दुनिया में आजादी और ज्ञान का प्रतीक है और आजादी और ज्ञान से तालिबान की सरकार को एलर्जी है।
अफगानिस्तान की सरकार का ये फैसला आखिरकार तालिबान को नुकसान पहुंचाएगा और उन्हें इसे वापस लेना पड़ेगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 सितंबर, 2025 का पूरा एपिसोड
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