हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन के समर्थन में लगातार प्रोटेस्ट और इजरायल के विरोध में माहौल से ट्रंप सरकार का गुस्सा सातवें आसमान पर है. कैंपस में प्रदर्शन और अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय की मांगों को ठुकराने के बाद ट्रंप सरकार यूनिवर्सिटी के खिलाफ आक्रामक है. पिछले महीने दो अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रुपये) की फंडिंग रोकने के बाद अब इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद करने का फरमान सुना दिया है.
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड में पढ़ रहे करीब सात हजार इंटरनेशनल स्टूडेंट्स से कहा कि उन्हें दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर लेना होगा वरना वे अमेरिका में रहने की अपनी कानूनी अनुमति खो देंगे. इससे अमेरिका में पढ़ रहे बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी प्रभावित होंगे. भारतीय छात्रों के खिलाफ इस तरह के फैसले लेने से पहले ट्रंप प्रशासन यह भूल गया है कि भारतीय-अमेरिकियों ने उनके शैक्षणिक संस्थानों को भर-भरकर अरबों रुपये दान किए हैं.
आनंद महिंद्रा
आनंद महिंद्रा, महिंद्रा समूह के अध्यक्ष, ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को $10 मिलियन (लगभग ₹83 करोड़) का दान दिया. यह दान हार्वर्ड के मानविकी केंद्र (Mahindra Humanities Center) के लिए था, जिसका नाम उनके परिवार के सम्मान में रखा गया है. यह दान मानविकी अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था.
रतन टाटा
टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को $50 मिलियन (लगभग ₹415 करोड़) का दान दिया. यह दान 2010 में टाटा हॉल के निर्माण के लिए था, जो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में कार्यकारी शिक्षा के लिए एक केंद्र है. यह दान भारतीय उद्योगपतियों द्वारा हार्वर्ड को दिए गए सबसे बड़े दानों में से एक है.
डॉ. किरण और डॉ. पल्लवी पटेल
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. किरण पटेल और उनकी पत्नी, पीडियाट्रिशियन डॉ. पल्लवी पटेल ने पटेल फैमिली फाउंडेशन की ओर ने 2017 में फ्लोरिडा की नोवा साउथईस्टर्न यूनिवर्सिटी को $50 मिलियन (लगभग ₹1300 करोड़) का दान दिया था. उन्होंने पटेल सेंटर फॉर ग्लोबल सॉल्यूशंस और कॉलेज ऑफ ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा को 30.5 मिलियन डॉलर का दान भी दिया है. यह अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों द्वारा दिए गए सबसे बड़े दानों में से एक है. इस दान से फ्लोरिडा और भारत में मेडिकल कॉलेज बनाए गए.
गुरुराज देशपांडे
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और वेंचर कैपिटलिस्ट, IIT-मद्रास के पूर्व छात्र गुरुराज देशपांडे ने साल 2002 में MIT में देशपांडे सेंटर फॉर टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन की स्थापना के लिए $20 मिलियन (लगभग ₹166 करोड़) का दान दिया था. उनकी पत्नी जयश्री के साथ यह दान किया गया. इसके बाद साल 2011 में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू ब्रंसविक को पॉन्ड-देशपांडे सेंटर के लिए $2.5 मिलियन (लगभग ₹20 करोड़) दिए.
मणि एल. भौमिक
भौतिक विज्ञानी, लेखक और परोपकारी, IIT-खड़गपुर के पूर्व छात्र मणि एल. भौमिक ने साल 2016 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (UCLA) को $11 मिलियन (लगभग ₹91 करोड़) डोनेट किए थे. यह डोनेशन UCLA में मणि एल. भौमिक इंस्टीट्यूट फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स के लिया दिया गया था, जो यूनिवर्सिटी के इतिहास में भौतिक विज्ञान विभाग का सबसे बड़ा दान थाय 2018 में $3 मिलियन (लगभग ₹25 करोड़) और कुल $15.26 मिलियन (लगभग ₹127 करोड़) का दान दिया.
चंद्रिका टंडन
भारतीय-अमेरिकी बिजनेसवुमन चंद्रिका कृष्णमूर्ति टंडन, फिलांथ्रोपिस्ट (परोपकारी) और संगीतकार, IIM-अहमदाबाद की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं. उन्होंने साल 2015 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) के इंजीनियरिंग स्कूल को पति रंजन टंडन के साथ $100 मिलियन (लगभग ₹830 करोड़) डोनेट किए थे. स्कूल का नाम NYU टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग रखा गया. चंद्रिका NYU टंडन स्कूल की बोर्ड चेयरमैन हैं और NYU के कई अन्य बोर्ड्स में सक्रिय हैं.
मुकुंद पद्मनाभन
भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक, शोधकर्ता और हेज फंड पार्टनर मुकुंद पद्मनाभन ने IIT खड़गपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएस और UCLA से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमएस और पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं. उन्होंने साल 2015 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (UCLA) को $25 लाख (लगभग ₹20 करोड़) का दान दिया था, जिससे इंटीग्रेटेड माइक्रोसिस्टम्स के लिए एक आधुनिक इंजीनियरिंग लैब बनी. इससे पहले उन्होंने तीन बार $5 लाख (लगभग ₹4 करोड़) का दान दिया था.
विन (विनोद) गुप्ता
विन (विनोद) गुप्ता, भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी और परोपकारी, IIT खड़गपुर के छात्र रह चुके हैं. उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों के उत्थान के लिए दान दिए हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का, लिंकन को छोटे व्यवसाय प्रबंधन के पाठ्यक्रम के लिए $20 लाख (लगभग ₹16 करोड़), $5 लाख (लगभग ₹4 करोड़) साइंस और इंजीनियरिंग स्कूलों के लिए स्कॉलरशिप फंड, 2014 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल को $10 लाख (लगभग ₹8 करोड़) डोनेट किए, जिससे विकासशील देशों के छात्रों के लिए बेन गुप्ता एंडोव्ड फंड बना, जो JD, LLM डिग्री और अन्य शैक्षिक अवसरों का समर्थन करता है.