- Hindi News
- National
- After Supreme Court Rap, Delhi Air Pollution Panel’s ‘Flying Squads’ Move
नई दिल्ली19 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
स्टेट पॉल्यूशन बॉडीज के साथ मिलकर ये स्क्वाड पंजाब के 16 जिलों और हरियाणा के 10 जिलों को कवर करेगा।
दिल्ली में एयर क्वालिटी पर नजर रखने वाले केंद्र सरकार के पैनल कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने फ्लाइंग स्क्वाड बनाया है। ये स्क्वाड दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा में पराली का जलना रोकेगा। स्टेट पॉल्यूशन बॉडीज के साथ मिलकर ये स्क्वाड पंजाब के 16 जिलों और हरियाणा के 10 जिलों को कवर करेगा।
दरअसल, दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इसमें कोर्ट ने पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने को लेकर कोर्ट ने इस कमीशन को फटकार लगाई थी। अदालत
कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की वजह से इमरजेंसी जैसे हालात हैं। CAQM से पूछा कि पराली जलाने में क्या कोई कमी आई है? आप पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? लगातार बैठकें क्यों नहीं हो रहीं? आपकी कार्रवाई केवल कागज पर है और आप मूकदर्शक हैं।
कोर्ट ने राज्यों को खाली पड़ी नौकरियों को भरने को कहा था जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि दिल्ली-NCR के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में कर्मचारी कम होने की वजह से ठीक से काम नहीं हो रहा।
कोर्ट ने पांच राज्यों को आदेश दिया था कि वे खाली पड़ी नौकरियों को 30 अप्रैल 2025 तक भरें, ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके।
CAQM का जवाब- 10 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद करने को कहा CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने समिति बनाने के बाद 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव जारी किए हैं। उनकी टीम ने 19,000 जगहों का निरीक्षण किया है और 10,000 से ज्यादा फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि CAQM तीन साल से अस्तित्व में है, लेकिन इसने केवल 82 निर्देश जारी किए हैं। इतनी कार्रवाई काफी नहीं है। आयोग को और अधिक एक्टिव होने की जरूरत है। आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके निर्देशों से प्रदूषण की समस्या कम हो रही है या नहीं।
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2021 में CAQM का गठन किया था। इसे दिल्ली-NCR और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बनाया गया है।
कोर्ट ने कहा- सब कुछ तो हवा में है सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने हलफनामा पढ़कर सुनाया। इसमें पराली संकट से निपटने को लेकर सलाह और दिशा निर्देश जारी करने जैसे कदमों की जानकारी दी गई। लेकिन अदालत इन कोशिशों से नाखुश नजर आई। जस्टिस ओका ने कहा कि, ‘सब कुछ तो हवा में है। NCR राज्यों में जो किया गया है, उसके बारे में हमें कुछ भी नहीं बताया गया।’
दिल्ली का प्रदूषण, 3 सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार से पूछा था कि प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसानों के साथ हमदर्दी दिखाई। कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने वाले किसानों को विलेन बना दिया जाता है। कोई उनका पक्ष नहीं सुनता है। किसानों के पास पराली जलाने के लिए कारण जरूर होंगे।
पंजाब सरकार को उन्हें पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए कहा था- बीते छह साल में यह सबसे प्रदूषित नवंबर रहा है। हमें समस्या पता है और उस समस्या को दूर करना आपका काम है।
कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा कि प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढना आपका काम है।
कोर्ट बोला- दिल्ली और पंजाब की AAP सरकारें प्रदूषण रोकने के लिए एक्शन लें जस्टिस एसके कॉल और एस धूलिया की बेंच ने पंजाब और दिल्ली की सरकारों से कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सख्त एक्शन लें, जिससे दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा होता है।
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को उठाया है कि प्रदूषण फैलने के मामले में सभी तरफ से किसानों को दोषी तो ठहराया जाता है, लेकिन सुनवाई में उनका पक्ष नहीं रखा जाता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार को किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार से सीखना चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को उठाया है कि प्रदूषण फैलने के मामले में सभी तरफ से किसानों को दोषी ठहराया जाता है।
पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया- पराली जलाने वालों पर 2 करोड़ रुपए जुर्माना सुनवाई के दौरान पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पराली जलाने पर हमने 1 हजार FIR दर्ज की हैं और 2 करोड़ जुर्माना लगाया है। हम पराली में लगी आग को बुझा रहे हैं, लेकिन लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि लोगों का सड़कों पर उतरना एक समस्या है। यह कानून व्यवस्था की स्थिति है। हम आधी रात को भी आग बुझा रहे हैं। अगले सीजन की शुरुआत से ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर तय की है।
अब जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- हरियाणा से सीखिए हरियाणा में पराली एक्स-सीटू प्रबंधन पॉलिसी लागू हो चुकी है। इसमें एक्स-सीटू के तहत फसल अवशेष को खेत से बाहर ले जाकर उसका मैनेजमेंट किया जाता है। हरियाणा में हर साल लगभग 30 लाख टन धान की पराली निकलती है। इस नीति के तहत धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन और इथेनॉल बनाया जा रहा है। किसानों को धान के भूसे को काटने, इकट्ठा करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों व प्लांटों तक उसे पहुंचाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर सब्सिडी दी जा रही है।
ये खबर भी पढ़ें …
सुप्रीम कोर्ट बोला- हमारा बुलडोजर चला तो रुकेगा नहीं, दिल्ली के प्रदूषण पर कहा- सब्र खत्म हो रहा
सर्दियों के मौसम में हर साल दिल्ली की एयर क्वालिटी बहुत खराब हो जाती है।
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में 7 नवंबर को सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने पंजाब, हरियाणा, UP और राजस्थान सरकारों को सख्त आदेश दिया कि पराली जलाना तुरंत बंद किया जाए। प्रदूषण को देखते हुए हमारा सब्र खत्म हो रहा है, अगर हमने एक्शन लिया तो हमारा बुलडोजर रुकेगा नहीं। पूरी खबर पढ़ें …