वायनाड39 मिनट पहले
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वायनाड के 4 गांव मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा में लैंडस्लाइड की घटना हुई थी।
केरल के वायनाड में 29 जुलाई की देर रात लैंडस्लाइड हुई। हादसा इतना भयावह था कि इससे मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ते जा रही है। अब तक 365 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 206 लोग अब भी लापता हैं। लैंडस्लाइड के बाद से शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन आज 7वें दिन (5 अगस्त) भी जारी है।
PTI के मुताबिक, वायनाड के चूरलमाला के एक प्राइवेट हॉस्पिटल की स्टाफ नीतू जोजो इस हादसे की पहली इन्फॉर्मर थीं। उन्होंने इमरजेंसी सर्विस को सबसे पर अलर्ट कर मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने डॉ. शानावास पल्लियाल को भी फोन किया था, जो उसी हॉस्पिटल में डिप्टी जनरल मैनेजर हैं, जहां नीतू काम करती थीं।
डॉ. पल्लियाल ने बताया कि 29 जुलाई को पहली लैंडस्लाइड के बाद नीतू का कॉल आया। उन्होंने घबराते हुए कहा- हमारे घरों में पानी भर गया है। घर के आस-पास मलबा है। आस-पास के 5-6 परिवार के लोग हमारे घर आ गए हैं, क्योंकि उनके घर तबाह हो गए हैं। इसके बाद दूसरी लैंडस्लाइड में उनसे कनेक्शन टूट गया। माना जा रहा है कि दूसरी लैंडस्लाइड में मलबे में दबने से उनकी मौत हो गई।
इसके वायनाड के चूरलमाला में रहने वाले 42 वर्षीय मंसूर ने कहा- मैं उस दिन अपने घर पर नहीं था। मैंने एक ही रात में परिवार के 16 सदस्यों को खो दिया। अब तक 4 ही लोगों की बॉडी मिली है। बेटे की बॉडी मिली है। बटी समेत 12 लोग लापता हैं।
लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों को 6 जोन में बांटकर लापता लोगों और शवों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
पीड़ित ने कहा- मेरा परिवार, मेरा घर, सब कुछ चला गया
पीटीआई से बातचीत में मंसूर ने बताया कि इस घटना में मेरा परिवार, मेरा घर, सब कुछ चला गया। अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। मैं फिलहाल अपने भाई नासिर के साथ रह रहा हूं। लैंडस्लाइड वाली जगह से दूर रहने वाले मंसूर के भाई नासिर ने बताया कि घटना से पहले अधिकारियों की ओर से कोई चेतावनी नहीं दी गई थी।
जब जलस्तर बढ़ रहा था, तो मैंने अपने भाई के परिवार को कहा कि वे मेरे घर आ जाएं। उन्होंने कहा कि वे सुरक्षित हैं, लेकिन इस त्रासदी में अब सब कुछ खत्म हो गया।
घटनास्थल को मैप से समझें…
वायनाड भूस्खलन में मारे गए अज्ञात लोगों के शवों का 4 अगस्त की रात सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया।
सर्च ऑपरेशन के अपडेट्स
- लैंडस्लाइड के छठे दिन यानी रविवार को सुबह 7 बजे से सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ। छह टीमों में शामिल 1264 लोग मुंडक्कई, चूरलमाला और सामलीमट्टम में सर्च ऑपेरशन चला रहे हैं। मुख्यमंत्री विजयन ने 3 अगस्त को कहा था कि रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है।
- मौसम विभाग ने केरल के 6 जिलों कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कोझिकोड, इडुक्की और कोट्टायम में बारिश का यलो अलर्ट सोमवार के लिए जारी किया है।
- केरल के मंत्री एके ससींद्रन ने कहा- हमने लैंडस्लाइड प्रभावित इलाके को 6 जोन में बांटा है। हर जोन में 40 लोगों की टीम सर्च ऑपरेशन चला रही है। इसके लिए स्थानीय लोगों की भी मदद ली जा रही है।
- केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने रविवार को वायनाड में लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों में पहुंचे। उन्होंने कहा- लैंडस्लाइड को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की मांग की वैधता की जांच की जाएगी। इसके बाद ही केंद्र की ओर से सहायता दी जाएगी।
- साउथ एक्टर चिरंजीवी ने लैंडस्लाइड से प्रभावित लोगों के लिए एक करोड़ रुपए और अल्लू अर्जुन ने 25 लाख रुपए देने की घोषणा की है।
- लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों में लापता और दबे हुए लोगों को खोजने के लिए रडार की मदद ली जा रही है। यह रडार जमीन के अंदर 80 मीटर तक की गहराई में इंसानों के फंसे होने का पता लगाता है। सेना इस रडार का इस्तेमाल बर्फीले इलाकों खासकर सियाचिन, लद्दाख में एवलांच के बाद सर्चिंग के लिए करती है।
- सेना ने 1 अगस्त को मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की जानकारी दी थी। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों को ढूंढने का काम चल रहा है। कई जगह जमीन के अंदर मलबे में 20 से 30 फीट तक शवों के दबे होने की आशंका है।
वायनाड की लाइफलाइन रही चलियार नदी में अब तक 205 शव मिले
केरल की चलियार नदी से 3 अगस्त को रेस्क्यू टीमों ने 3 शव और 13 लोगों के शरीर के टुकड़े बरामद हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, अब तक चलियार नदी से कुल 205 शव मिल चुके हैं। इनमें 73 शव और 132 शरीर के टुकड़े हैं। 198 शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और 195 को वायनाड भेज दिया है।
30 जुलाई की लैंडस्लाइड के बाद चलियार नदी तबाही का प्रतीक बन गई है। इससे पहले 169 किमी लंबी नदी वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड जिले के लोगों के लिए लाइफलाइन रही है। नेवी, पुलिस, फायर, रेस्क्यू और NDRF की टीमों का चलियार नदी में सर्च ऑपरेशन जारी है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें…
वायनाड में आज 7वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। लोगों के शव ढूंढे जा रहे हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के आसिफ ने एक पीड़ित बच्चे को पानी पिलाया।
रेस्क्यू टीम ने लैंडस्लाइड से प्रभावित और पीड़ित छोटे बच्चों को भी सुरक्षित जगह पहुंचाया।
NDRF की टीम मलबा हटाकर लाशों को ढूंढने का काम कर रही है।
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी रविवार को वायनाड पहुंचे। उन्होंने NDRF से रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली।
आज 7वें दिन भी मलबे के नीचे दबी लाशों को ढूंढने का काम जारी है। हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम दौर में है।
सेना ने चूरलमाला और मुंडक्कै को जोड़ने के लिए 190 फीट लंबा बेली पुल बनाया। इससे रेस्क्यू मशीनरी गुजर सकती है।
लैंडस्लाइड प्रभावित इलाके में रेस्क्यू के लिए नौसेना के हेलिकॉप्टर की मदद ली जा रही है।
5 साल पहले भी यहां लैंडस्लाइड से 17 मौतें हुई थीं
वायनाड के 4 गांव मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा में लैंडस्लाइड की घटना हुई है। 5 साल पहले 2019 में भी भारी बारिश की वजह से इन्हीं गांवों में लैंडस्लाइड हुई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी। 5 लोगों का आज तक पता नहीं चला। 52 घर तबाह हुए थे।
वायनाड में लैंडस्लाइड की क्या वजह है
वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पर पहाड़ी ढलाने हैं। यानी लैंडस्लाइड की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है।
वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है। मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून सीजन में बहुत ज्यादा बारिश होती है। वायनाड में काबिनी नदी है। इसकी सहायक नदी मनंतावडी ‘थोंडारमुडी’ चोटी से निकलती है। लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है।
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वायनाड लैंडस्लाइड के चौथे दिन शुक्रवार को एक अच्छी खबर आई। वन अधिकारियों ने 8 घंटे के ऑपरेशन में एक दूरदराज आदिवासी इलाके से 4 बच्चों समेत 6 लोगों का रेस्क्यू किया। बच्चे एक से चार साल के हैं। पनिया समुदाय का यह आदिवासी परिवार पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा में फंसा था। पूरी खबर पढ़ें…