निलेश कुंभानी
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राहुल गांधी ने सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी निलेश कुंभानी का पर्चा खारिज होने और भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल के निर्विरोध जीतने पर चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ होने का आरोप लगाया था। अब समाचार है कि कांग्रेस प्रत्याशी निलेश कुंभानी जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उनके भाजपा में आने का समय पार्टी के शीर्ष नेताओं से बातचीत के बाद तय किया जाएगा। जल्द ही निलेश कुंभानी उसी कमल दल का प्रचार करते दिखाई पड़ सकते हैं, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था।
दरअसल, मुकेश दलाल भले ही निर्विरोध जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि उनकी सूरत सीट से दावेदारी पर भाजपा के अंदर से ही सवाल उठ रहे थे। उन्हें बाहर से आया हुआ उम्मीदवार बताया जा रहा था। लिहाजा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता उनकी दावेदारी का विरोध कर रहे थे, लेकिन गुजरात भाजपा के ताकतवर प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल का बेहद करीबी होने के नाते पार्टी कार्यकर्ता उनका खुलकर विरोध नहीं कर सके।
विपक्ष का प्लान कैसे हुआ चौपट?
चूंकि, इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, कांग्रेस के उम्मीदवार को अतिरिक्त ताकत मिल सकती थी। सूरत ही वह क्षेत्र है जहां से आप ने नगर निगम में 27 पार्षदों को जीत दिलाकर नया इतिहास रच दिया था। विधानसभा चुनावों में भी आम आदमी पार्टी ने इस एरिया में अच्छे वोट हासिल किए थे। यदि इन वोटरों के साथ भाजपा के ‘बागी’ कार्यकर्ता मिल जाते या वे शिथिल पड़ जाते, तो सूरत लोकसभा क्षेत्र में पूरी कहानी पलट सकती थी। इससे भाजपा का इस सीट पर 1989 से अब तक लगातार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी टूट सकता था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नीलेश कुंभानी के पर्चा खारिज होने की स्क्रिप्ट भाजपा के ही एक शीर्ष नेता के इशारे पर उनका पर्चा दाखिल होने के पहले ही लिखी जा चुकी थी। यानी यह तय हो चुका था कि नीलेश कुंभानी अपना पर्चा दाखिल करेंगे और उसमें अपने रिश्तेदार और दो भरोसेमंद साथियों को गवाह बनाएंगे। उसी प्लान पर काम करते हुए नीलेश कुंभानी ने अपने एक रिश्तेदार और दो भरोसेमंद साथियों को अपना गवाह बनाया। इसके बाद तय तारीख के बाद नीलेश कुंभानी के प्रस्तावकों ने अपना फर्जी हस्ताक्षर किए जाने का दावा कर दिया और स्वयं भूमिगत हो गए। जांच के लिए नोटिस जारी करने के बाद भी किसी प्रस्तावक के चुनाव कार्यालय न पहुंचने के बाद कुंभानी का पर्चा खारिज कर दिया गया।
इसके बाद इस तरह पूरी हुई कहानी
पर्चा खारिज होने के बाद भी सूरत लोकसभा क्षेत्र में चुनाव टलना तय नहीं था। इसका कारण था कि सूरत से भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों सहित लगभग 10 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया था। भाजपा प्रत्याशी के अलावा एक भी प्रत्याशी होने पर भी चुनाव होना तय था। यही कारण है कि भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं ने स्वतंत्र और छोटे दलों के उम्मीदवारों को तलाश कर सबका नामांकन वापस कराने की कहानी पूरी की।