चंडीगढ़। पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई से लागू होगी लेकिन चंडीगढ़ में एक हफ्ता पहले ही इसका ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सेक्टर-26 स्थित रीजनल ट्रेनिंग सेंटर में नए कानून की जानकारी दी जा रही है। जवानों को बताया जा रहा है कि किस तरह एफआईआर दर्ज करते समय उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लिखना है और किन धाराओं का इस्तेमाल करना है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि तीनों नए कानून सबसे पहले चंडीगढ़ में लागू होंगे। पुलिस विभाग ने भी फुर्ती दिखाई और पहले चरण में 120 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाया। साथ ही तीनों नए आपराधिक कानूनों को समझने के लिए विशेष आईओएस हैंडबुक तैयार किया। एंड्रॉयड एप लर्न न्यू भारतीय लॉज को भी लॉन्च किया ताकि पुलिस अधिकारी और लोग नए कानूनों को आसानी से समझ सकें।
अब चंडीगढ़ पुलिस में तैनात सभी थाना प्रभारियों, जांच अधिकारी (आईओ) व अन्य जवानों को सेक्ट-26 स्थित रीजनल ट्रेनिंग सेंटर (आरटीसी) में ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा मंत्रालय द्वारा देशभर से तीन हजार विशेष कर्मियों को दिल्ली बुलाकर ट्रेनिंग दी गई, जिसमें चंडीगढ़ के कई जवान भी शामिल रहे। ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीशों को भी इसकी ट्रेनिंग देने के लिए दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। बता दें कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून की जगह केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू किया है। संवाद
अब भगोड़े आरोपियों पर भी हो सकेगी कार्रवाई
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि एक जुलाई से आपराधिक मामले नए कानून की धाराओं में दर्ज होंगे और उनका कोर्ट ट्रायल व फैसला भी उसी के मुताबिक होगा। बताया कि मॉब लिंचिंग भी अब नए कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आ जाएगा और इसके लिए आजीवन कारावास के साथ मौत की सजा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि कई आरोपी फरार हो जाते हैं, जिन्हें बाद में भगोड़ा घोषित किया जाता है। उनके खिलाफ पीओ का मामला दर्ज करवाया जाता है। ऐसे में आरोपी के नहीं मिलने तक कोर्ट में उसके खिलाफ आगामी कार्रवाई नहीं हो पाती, लेकिन नए कानून के तहत भगोड़े आरोपियों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में भी कोर्ट ट्रायल सहित उसकी संपति जब्त करने की कार्रवाई होगी।
नए कानून में 356 धाराएं, कई नियम भी बदलेंगे
आईपीसी में 511 धाराएं हैं जबकि भारतीय न्याय संहिता में केवल 356 धाराएं होंगी। इनमें 175 धाराओं को बदला गया है जबकि 8 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं। 22 धाराओं को खत्म किया गया है। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बची हैं जिनमें 160 धाराएं बदली गईं हैं, 9 नई जुड़ी हैं और 9 खत्म हो गईं हैं। अधिवक्ता हेमंत ने बताया कि नए कानून के तहत सारी एफआईआर ऑनलाइन होगी और कहीं से भी दर्ज कराई जा सकेगी। जांच अधिकारियों को बार-बार गवाही के लिए कोर्ट में नहीं जाना पड़ेगा और वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी कोर्ट कार्रवाई में शामिल हो सकेंगे। इसके अलावा मामले में कोई भी मेडिकल रिपोर्ट भी ऑनलाइन ही कोर्ट में पहुंचेगी। बताया कि सात साल से अधिक सजा वाले किसी भी मामले में एक जुलाई के बाद जांच टीम को फोरेंसिक सबूत भी एकत्र करके कोर्ट में पेश करने होंगे।
हत्या की धारा 302 से अब 101 में बदल जाएगी
हेमंत कुमार ने बताया कि नए कानूनों में हत्या के लिए लगाई जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब धारा 101 में बदल जाएगी। धोखाधड़ी, चोरी जैसे मामलों में आईपीसी 420 के बजाय धारा 316 लगेगी। हत्या के प्रयास में आईपीसी 307 की जगह धारा 109 का प्रयोग होगा, जबकि दुष्कर्म के मामलों में आईपीसी 376 के बजाए धारा 63 लगेगी।
चंडीगढ़ व अहमदाबाद में शुरू किया गया था पायलट प्रोजेक्ट
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ऑनलाइन आपराधिक न्याय प्रणाली को फुलप्रूफ बनाने के लिए कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा चंडीगढ़ और अहमदाबाद में पायलट प्रोजेक्ट भी चलाया गया था। इन दोनों शहरों में मंत्रालय की ओर से संबंधित अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई। अधिकारियों को बताया गया कि नए नियम लागू होने के बाद कानून व्यवस्था में भी काफी सुधार होगा।