Lok Sabha Elections 2024
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राजनीति ऐसा खेल है, जहां धुर विरोधी कब एक हो जाएं, कहा नहीं जा सकता। जालंधर की राजनीतिक बिसात इसका बेहतरीन उदाहरण बन गई है। जालंधर से सांसद सुशील रिंकू व विधायक शीतल अंगुराल वर्षों से एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी रहे हैं। राजनीति ने ऐसी करवट ली कि दोनों दोस्त बन कर आप को अलविदा कह भाजपा में चले गए।
यह सारी पटकथा दो माह पहले लिखी गई थी। दो माह में कहानी बिल्कुल पलट गई। रिंकू और शीतल के बीच एक दमदार व्यक्ति ने समझौता करवाया। दोनों के बीच पुरानी रार खत्म कर नया अध्याय लिखने की पटकथा तैयार की गई। इसको लेकर कई तरह के पक्के वादे भी किए गए, जिसके बाद दिल्ली में भाजपा हाईकमान के साथ मीटिंग फिक्स की गई और अंतत: दोनों भाजपा में शामिल हो गए।
दरअसल, यह किसी से छिपा नहीं है कि सुशील रिंकू के स्वर्गीय पिता पार्षद राम लाल व विधायक शीतल अंगुराल के पिता चौधरी परस राम के बीच गहरी मित्रता दी। दोनों एक ही परिवार के सदस्य के रूप में शहर में जाने जाते थे, लेकिन इस बीच छोटी सी कड़वाहट ने दोनों परिवार के बीच न केवल दूरियां बना दीं, बल्कि दोनों परिवारों में खूनी टकराव तक हो गया।
शीतल अंगुराल व उसके परिवार ने भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन दोनों के बीच रार बरकरार रही। 2017 में रिंकू को कांग्रेस से विधायक की टिकट मिल गई तो दूसरी तरफ शीतल अंगुराल का भी राजनीति में कद बढ़ गया। वह केंद्रीय मंत्री विजय सांपला के निकटवर्ती बन गए। वह भाजपा एससी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी तक पहुंच गए।