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38 मिनट पहले
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मणिपुर में 3 मई 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़की थी।
मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने पर विचार करने के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलु की बेंच ने आदेश से एक पैराग्राफ को हटाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के रुख के खिलाफ था।
गौरतलब है कि 27 मार्च 2023 के इसी निर्देश के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
मणिपुर HC में 21 फरवरी को हुई सुनवाई
हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी। जिस पर 21 फरवरी को सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस गैफुलशिलु के फैसले ने अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन के लिए भारत सरकार के प्रोसेस की तरफ इशारा करते हुए कोर्ट के निर्देश को हटाने की जरूरत बताई।
27 मार्च 2023 के फैसले में कहा गया था कि राज्य सरकार आदेश मिलने की तारीख से 4 हफ्ते के अंदर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के मामले में तेजी लाए।
इसके खिलाफ मैतेई समुदाय ने रिव्यू पिटीशन लगाई थी। जिसमें कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी जनजाति को एसटी सूची में शामिल करने के लिए न्यायिक निर्देश जारी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राष्ट्रपति का एकमात्र विशेषाधिकार है।
4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
इस पर कुकी-जो संगठन ने कड़ी आपत्ति जताई। 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSUM) ने एक रैली आयोजित की। रैली के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग में हिंसा हुई। इसके बाद पूरे राज्य में जातीय हिंसा फैल गई।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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