कुष्ठ रोग वैश्विक स्तर पर दशकों से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बड़ी चिंता का कारण रहा है। लोगों में जागरूकता और रोग के बारे में सही जानकारी के अभाव के चलते कुष्ठ रोग को लेकर बने सामाजिक कलंक के भाव ने इसे और चुनौतीपूर्ण बना दिया था। हालांकि एक-दो दशक में इस रोग में कमी दर्ज की गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में कुष्ठ रोग के सबसे ज्यादा मामले अफ्रीकी और एशियाई देशों में देखे जा रहे हैं। कुष्ठ रोग के बारे में लोगों को जागरूक और शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल जनवरी महीने के आखिरी रविवार को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है।
हालिया रिपोर्ट्स में भारत में कुष्ठ रोग के मामले बढ़ने को लेकर अलर्ट किया गया है। महाराष्ट्र में 18 साल से कम उम्र के बच्चों में कुष्ठ रोग के मामलों की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता बढ़ा दी है। पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच रिपोर्ट किए गए कुष्ठ रोग के 17,048 नए मामलों में से 1,160 मामले (यानी सात प्रतिशत) बच्चों में देखे गए हैं। अधिकारियों ने कहा, बच्चों में कुष्ठ रोग का बढ़ना एक संवेदनशील संकेतक है।