प्रेसवार्ता करते बिक्रम सिंह मजीठिया (मध्य में)
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अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मजीठिया परिवार को बदनाम करने की हताशा में पूरे सिख समुदाय को बदनाम किया है। अमृतसर में मीडिया को संबोधित करते हुए बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि मान ने अपनी बहन मनप्रीत और पत्नी डॉ. गुरप्रीत की निहंगों के एक विशेष गुट के साथ नजदीकी को ध्यान में रखते हुए गुरुद्वारा अकाल बुंगा साहिब पर सशस्त्र पुलिस हमले का आदेश दिया। इस आदेश देने को लेकर मुख्यमंत्री की हताशा को मैं समझ सकता हूं लेकिन मुझे, मेरे परिवार को बदनाम करने की कोशिश करते हुए उन्हें पूरे सिख समुदाय की प्रतिष्ठा को धूमिल नहीं करना चाहिए।
मजीठिया ने कहा कि मान ने बयान दिया कि सिख एक गौरवान्वित समुदाय है। मेरठ, जहां सिखों के साथ घोड़ा चोर जैसा व्यवहार किया जाता था। मान की यह बात गलत है। उन्होंने कहा कि मेरठ में सिखों का बहुत सम्मान किया जाता है। वहां सिख समुदाय को कितना सम्मान मिला है, इसका अंदाजा मेरठ में इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां के लोगों ने किसान आंदोलन को पूरा समर्थन दिया था।
मजीठिया ने कहा कि मान को सिखों की आस्था की वस्तुओं का अपमान करना बंद करना चाहिए। मान विधानसभा में भी सिखों की धार्मिक वस्तुओं का अपमान कर चुके हैं। बिक्रम ने कहा कि मान ने उनके ऊपर आरोप कथित तौर पर काफी नशा करने पर ही लगाए हैं। उनके दादा सुरजीत मजीठिया 1952 से 1962 तक उप-रक्षामंत्री रहे हैं और उन्हे इस्तीफा देने के लिए मजबूर नहीं किया गया… जैसा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया था।
एसजीपीसी ने भी जताई कड़ी आपत्ति
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री के पगड़ीधारी सिखों को घोड़ा चोर बताने वाले बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और भगवंत मान से तुरंत माफी मांगने को कहा। एडवोकेट धामी ने कहा कि इसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। दस्तार सिख को स्वयं गुरु साहिब का आशीर्वाद प्राप्त है और दस्तार की शान के लिए सिखों ने कई बलिदान दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सिख धर्म के प्रतीकों का अपमान कर रहे हैं जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।