अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों के लिए बनाई गई पेंशन नीति की शर्तों पर सवालिया निशान खड़ा किया है। हुड्डा का कहना है कि सरकार ने पत्रकारों पर दबाव बनाने और उन्हें पेंशन से वंचित करने के लिए जानबूझकर एफआईआर वाली शर्त जोड़ी है। पेंशन नीति में कहा गया है कि अगर किसी पत्रकार पर एफआईआर हुई तो उसे पेंशन नहीं दी जाएगी।
हुड्डा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकारों द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता का हनन करने के लिए बार-बार पत्रकारों के विरुद्ध एफआईआर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया है। देश की न्यायिक व्यवस्था कहती है कि महज मामला दर्ज होने से किसी को दोषी नहीं माना जा सकता। पेंशन नीति का यह प्रावधान पूरी तरह गैर-कानूनी है। वैसे भी पेंशन एक सम्मान निधि है, जिसपर इस तरह की शर्त नहीं लगाई जा सकती। केवल इसमें जघन्य अपराधी को पेंशन का लाभ ना मिले, पाॅलिसी में ये शामिल हो सकता है।